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________________ अनेकान्त / 54-2 0000 चलने की जिद करने लगे। उन्होंने देवर्षि से कहा- बिना यह कार्य पूरा किए मैं संतप्त जीवन जिऊंगा । ब्रह्मा के मानसपुत्र ने फिर दोहराया भरत ! इस जगतीतल पर मन का संताप और तन का संताप किसका कब कहां मिटा है। फिर भी आप जिद करते हैं तो चलिए । देवर्षि और भरत चक्रवर्ती दोनों जब इंद्रलोक पहुंचे तो भरत यह देखकर अवाक् रह गए कि उस भीमकाय, नामपट्टिका के फलक पर इतने नाम पहले से ही लिखे हुए थे कि वहां एक सूत भर भी जगह नहीं थी जहां भरत चक्रवर्ती अपना नाम लिखते। जबकि आए थे वे यह सोचकर कि वे पहले चक्रवर्ती सम्राट् हैं। भरत को उसी क्षण बोध हुआ और बोध के साथ ही वैराग्य । 64 भारतवर्ष का नाम जिन भरत के नाम पर पड़ा है उसकी ओर कुछ संकेत अग्नि एवं मार्कण्डेयपुराण में मिलते हैं: उदाहरण के लिए अग्निपुराण में आया है - उस हिमवत् प्रदेश यानी भारत में बुढ़ापे और मृत्यु का भय नहीं था। धर्म-अधर्म दोनों नहीं थे। वहीं नाभि राजा के घर ऋषभ नामक एक पुत्र हुआ ऋषभ से भरत हुए । भरत के नाम से ही इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। (अग्निपुराण 10/10 ) या संदर्भ मार्कण्डेयपुराण से जो दूसरा उदाहरण है वह इस प्रकार है । आग्नीघ्र - पुत्र नाभि से ऋषभ के सौ पुत्रों में भरत अग्रज था ( ऋषभ के राज्य की राजधानी का नाम था विनीता) । समय आने पर ऋषभ ने अपने बड़े बेटे भरत का राज्याभिषेक किया और स्वयं संन्यास लेकर पुलह आश्रम में महातप किया। ऋषभ ने भरत को हिमवत् नाम दक्षिण- प्रदेश शासन के लिए दिया था अतः उस महात्मा भरत के नाम से ही इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। लगभग इसी से मिलता-जुलता वर्णन ब्रह्माण्डपुराण में भी मिलता है। राजा नाभि ने मरूदेवी से महाद्युतिवान् ऋषभ नाम के पुत्र को जन्म दिया। ऋषभदेव पार्थिव श्रेष्ठ और सब क्षत्रियों के पूर्वज थे। उनके सौ पुत्रों में भरत अग्रज थे जबकि बाहुबली कनिष्ठ । वृहदनारायणीय में भी इन्हीं भरत की चर्चा है । वृहदनारायणीय किस शती की कृति है यह अभी तक स्थिर नहीं हो सका हालांकि डॉ विल्सन इसे 16वीं शती का ग्रंथ मानते हैं। अलबेरुती यहां 11वीं शती में आया था उसने अपने यात्रा विवरण में इसका संदर्भ भी सम्मिलित किया है। QXXXXXX
SR No.538054
Book TitleAnekant 2001 Book 54 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2001
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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