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________________ चरित्र होता है वैसा ही प्रजा अनुसरण करती है आज मंत्री परिपद के सदस्यों में ऐसे लोग भी मौजूद हैं जिनपर चोरी, डकैती, हत्या, आतंकवाद, टैक्स चोरी आदि के केश हैं फिर जनता को न्याय कहां मिलेगा प्रजातंत्र को पदलोलुपी दलबदुओं एवं भ्रष्ट राजनीतिज्ञों ने बदनाम कर दिया है। विश्वबन्धुत्व की भावना का लोप हो रहा है। भगवान महावीर के सिद्धान्त सत्य, अहिंसा, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, त्याग, तपस्या अनेकान्तवाद को अपनाकर विश्व बन्धुत्व की भावना को साकार किया जा सकता है तथा देश में व्याप्त कुरीतियों आतंकवाद भुखमरी बेरोजगारी दहेज प्रथा भ्रष्टाचार मिलावट हिंसा झूठ, चोरी, परिग्रह आदि से मुक्ति मिल सकती है तथा संसार में विश्व बन्धुत्व की भावनाओं को बढ़ाकर महात्मा गांधी के सत्य अहिंसा एवं विनोबा भावे के विश्व बन्धुत्व की भावनाओं को साकार रूप दिया जा सकता है। -58ए/40, ज्योति नगर, खेरिया रोड, आगरा (उ०प्र०) 'अनेकान्त' आजीवन सदस्यता शुल्क : 10 1.00 रु. वार्षिक मूल्य : 6 रु., इस अंक का मूल्य : 1 रुपया 50 पैसे यह अंक स्वाध्यायशालाओं एवं मंदिरों की माँग पर निःशुल्क विद्वान लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र हैं। यह आवश्यक नहीं कि सम्पादक-मण्डल लेखक के विचारों से सहमत हो। पत्र में विज्ञापन एवं समाचार प्रायः नहीं लिए जाते। संपादन परामर्शदाता : श्री पद्मचन्द्र शास्त्री इस अंक के संपादक : डा. जय कुमार जैन प्रकाशक : श्री भारतभूपण जैन, एडवोकेट, वीर सेवा मंदिर, नई दिल्ली-2 मुद्रक : मास्टर प्रिंटर्स, नवीन शाहदग, दिल्ली-32 • Donations are exempted under the 80G, of Income Tax Act. Regd. with the Ragistrar of Newspaper at R.No. 10591/62
SR No.538053
Book TitleAnekant 2000 Book 53 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2000
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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