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________________ जैन धर्म की प्राचीनता, भगवान महावीर के सिद्धान्तों की आज के समय में उपयोगिता -जगदीश प्रसाद जैन प्रायः जो लोग श्रमण संस्कृति से परिचित नहीं वे जैन धर्म का प्रादुर्भाव भगवान महावीर स्वामी से समझते हैं। वास्तव में ऐसा नहीं है। प्रारम्भ से ही श्रमण संस्कृति एवं वैदिक संस्कृति थी, और ये संस्कृतियां अनादि निधन हैं। श्रमण संस्कृति के तपस्वियों को श्रमण एवं मुनि तथा वैदिक संस्कृति पर बहुत प्रभाव पड़ा। डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने लिखा है कि श्रमण परम्परा के कारण ब्राह्मण धर्म में वानप्रस्थ और सन्यास को प्रश्रय मिला। श्रमण दिगम्बर होते हैं, मुनि शब्द ज्ञान तप वैराय का सूचक है। डा. गुलाब राय ने ऐसा विचार प्रकट किया कि श्रमण संस्कृति ने भारतीय संस्कृति को अमरत्व प्रदान किया इसने सहिष्णुता, अहिंसा, त्याग, उदारता, सत्य, अपरिग्रह, विश्वबन्धु अनेकान्तवाद, सम्यग्दृष्टि, सम्यग्ज्ञान एवं सम्यग्चारित्र आदि अमूल्य रत्नों से विभूषित किया। श्रमण संस्कृति ही जैन धर्म है। जैनधर्मानुसार काल दो भागों में विभक्त होता हैं। अवसर्पिणी काल 2 उत्सर्पिणीकाल । प्रत्येक की अवधि दस कोड़ा-कोड़ी सागर वर्ष होती है। अर्थात् बीस कोड़ा-कोड़ी सागर वर्ष का एक काल होता है इनको 6-6 भागों में विभक्त किया गया है। (पहला) सुखमा-सुखमा काल 4 कोड़ा-कोड़ी सागर वर्ष, (दूसरा) सुखमा, काल 3 कोड़ा-कोड़ी सागर वर्ष, (तीसरा) सुखमा, दुखमा काल 4 कोड़ा-कोड़ी सागर वर्ष, (चौथा) दुखमा-सुखमा काल 42000 वर्ष कम एक कोड़ा-कोड़ी सागर वर्ष, (पांचवा) दुखमा काल 21000 वर्ष, (छटवां) दुखमा-दुखमा काल 21000 वर्ष इसी तरह उत्सर्पिणी काल में छठवां, पांचवां, चौथा, तीसरा, दूसरा तथा पहला काल आता है। प्रत्येक काल में 24 तीर्थकर होते हैं। ऐसी 148 चौबीसी बीतने पर एक हुन्डावसर्पणी काल आता है। वर्तमान में हुन्डावसर्पिणी काल चल रहा है। वर्तमान हुन्डावसर्पिणी काल में चौबीस तीर्थकर हुए उनके नाम इस प्रकार हैं : 1. ऋषभदेव 2. अजितनाथ 3. सम्भव नाथ 4. अभिनन्दन नाथ 5. सुमति नाथ 6. पद्म 7. सुपार्श्वनाथ 8. चन्द्रप्रभ 9. पुष्पदंत 10. शीतलनाथ 11. श्रेयांसनाथ 12. वासुपूज्य 13. विमलनाथ 14. अनन्तनाथ
SR No.538053
Book TitleAnekant 2000 Book 53 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2000
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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