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53/3 अनेकान्त/54
सेवक का वेतन – गुणभद्राचार्य का कथन है कि जयकुमार और अर्ककीर्ति के युद्ध के समय बाण मुट्ठियों द्वारा चलाए जा रहे थे और वे अपने स्वामियों की सिद्धि उसी प्रकार कर रहे थे, जिस प्रकार सेवक मुट्ठियों से दिए हुए अन्न पर निर्भर करते हैं। 44-125
वस्त्र - जिस समय भरत की सेना गिरनार के आसपास के सोरठ प्रदेश में पहुँची, उस समय उसने वहाँ के लोगों को रेशमी वस्त्रों का उपयोग करते पाया। लोगों ने भरत को चीनपट्टांब भेंट किए। 30-103
विभिन्न प्रदेशों के लोगों की विशेषताएँ - 29-78
1. कर्नाटक देश के लोगों को हल्दी, ताम्बूल या पान, अंजन या सुरमा और यश प्रिय है। 29-91 तथा आगे
2. आंध्र प्रदेश के निवासी कृपण या कंजूस हैं, हृदय से भी कठोर हैं। 3. केरल के लोग गोष्ठी में प्रवीण तथा सरल वार्तालाप करने वाले हैं।
4. कलिंग देश के लोगों को हाथी बहुत प्रिय हैं और वे कला-कौशल में धनी हैं।
5. सिंहल देश की स्त्रियाँ नारियल की मदिरा का पान करती हैं। 6. पाण्ड्य देश के लोगों को हाथी अधिक प्रिय है। इत्यादि
वाराणसी-में तो पापी लोग उत्पन्न ही नहीं होते हैं। पता नहीं जिनसेनाचार्य वाराणसी गए भी थे या नहीं। आज तो वहाँ का चित्र ही दूसरा है। लोग कहते हैं कि राँड़, साँड़, सीढ़ी, सन्यासी, इनसे बचे सो सेवे काशी। 43-124
पूजा जिनेंद्र-पूजा-में सुपारियों के गुच्छे, नारियल, कटहल आदि का प्रयोग किया जाता था। यह प्रथा अब भी है। केले भी चढ़ाए जाते हैं। 17-252
. अस्त्र-पूजा-भरत ने अपनी दिग्विजय यात्रा में अपने अस्त्रों की पूजा की थी। दक्षिण भारत में अस्त्रों, वाहनों आदि की पूजा विशेष रूप से प्रचलित है। दशहरे के दिन उसका विशेष महत्व है। 32-86
धूप-घट-चक्रवर्ती भरत आदिनाथ के समवसरण में जब पहुँचे तो उन्होंने वहाँ दो धूप-घट देखे। उनमें सुगंधित द्रव्य का ईधन भरा हुआ था। मंगल-घटों में जल होता है। केरल में वीबी मस्जिद का जो जुलूस निकलता