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________________ 53/3 अनेकान्त/52 4. रयणत्तय ण वट्टई अप्पाण मुइत्तु अण्णदवियदिम। वही, 40 5. दुविहं पि मोक्खहेउं झाणे पाउणदि जे मुणी णियमा। तह्मा पयत्तचित्ता जूयं झाण समब्भसह ।। वही, 47 6. तपसा निर्जरा च, तत्त्वार्थसूत्र 9, 3 7. वही, 9, 20 8. आवरौद्रधर्म्यशुक्लानि, तत्त्वार्थसूत्र 9, 28 9. परे मोक्ष हेतु, वही 9, 29 10. आज्ञापाय विपाक संस्थान विचयाय धर्म्यम् 8, 36 11. मा मुझह मा रज्जह मा दूसह इटठणिट्टअट्टेसु। घिरमिच्छह जड़ चित्तं विचितज्माणपसिद्धीए ।। वृहद् द्रव्यसंग्रह, आचार्य नेमिचन्द्र 48 12 बृहद् द्रव्यसंग्रह, आचार्य नमिचन्द, 19 13. वृहद्रव्यसंग्रह, आचार्य नेमिचन्द्र 500 14. चौबीसों अतिशय सहित प्रतिहार्य पुनि आठ, अनन्तचतुष्टय गुणसहित, ये छयालीसो पाठ-महामन्त्र णमोकार वैज्ञानिक अन्ध, सम्पादकीय। 15. वृहद्रव्य संग्रह आचार्य नमिचन्द्र, 51 16 समकित दरसनं ज्ञान अगुरुलघु अवगाहना । सूक्षम वीरजवान निराबाधगण सिद्ध के। महामन्त्र णमोकार वैज्ञानिक अन्वेपण संपादकीय। 17. वृहद्रव्यसंग्रह, आचार्य नेमिचन्द्र, 52 18. द्वादश तप दश धरमजुत पालै पचाचार । षट आवश्यक त्रिगुप्तिजुत आचारजपदसार । 19. वृहद् द्रव्यसंग्रह, आचार्य नेमिचन्द्र, 53 20. चौदह पूरव को धरे ग्यारह अंग सुजान। उपाध्याय पच्चीस गुण पढ़ें पढ़ावै ज्ञान। 21. वृहद् द्रव्यसग्रह, आचार्य नेमिचन्द्र, 54 22. पंच महाव्रत समिति पंच, पचेन्द्रिय का रोध षट् आवश्यक साधु गुण शेप सात अववोध । महामन्त्र णमोकार वैज्ञानिक अन्वेषण, सम्पादकीय 23. समता सम्हारै थुति उचारे नन्दना जिनदेव की नित करै प्रतिकृति कर अतिरति तजे नन अहमव का। छ. ढाला, दौलतराम 6,5 24. जिने न न्हौन न दंतधावन लेश अंबर आवरन। भू माहिं पिछली रयन म कर शवन एकाशन त । इकबार दिन मे लै आहार सह अन्लप निजपाणि म कचलोंच करत न डरत परिपट ना लगे निज ध्यान म । बा . 5, b
SR No.538053
Book TitleAnekant 2000 Book 53 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2000
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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