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________________ 53/3 अनेकान्त/35 (कैसे?) शाह होई, वाह होई, वर होई, वरयाई होई, संवर होई, संवराई होई, तप होई, तेज होई, लब्धि होई, अलब्धि होई, नन्द होई, आनन्द होई, रंज होई, रमण होई, दयालु होई, अन्मोद होई, प्रिय होई, प्रवेश होई, प्रसाद होई, (दशमोऽध्यायः) सम्यक्त्व अनुभूति कैसी है यह? ऐसी है मानो तीन लोक का बादशाह हो, जब बादशाह की उपस्थिति है तो फिर भयों का विलय हो जाता है, शल्य और शंका का भी विलय हो जाता है। यह समय बड़ा ही हितकारी है। सम्पूर्ण केवली भगवन्तों को जो ज्ञान उत्पन्न होता है उसका तो कहना ही क्या। वह तो अनन्त समय में प्रविष्ट है, लेकिन चौथे गुणस्थान में सम्यक्त्व की उत्पत्ति है। वह एक-एक समय-समय समय मेरा स्वसमय है, यह 'सुदीप्ति प्रवेश' (देदीप्य स्वभाव की प्राप्ति) है यह ‘सुन्न प्रवेश' मानो शून्य में प्रवेश है। हा. हा. जय, जय सम्यक्त्व जय, गुप्तार जानी (गुप्त रहस्य जान लिया) आचरण जाना जो जैसे है वह वैसे ही है (सुनो) जैसा हमारे है वैसा ही तुम्हारे है, जो मेरा सो तेरा, मेरा ध्रुव है। लाभ लो, ले सकते हो तो लो। वह सब साधक की भाषा है, अनलहक की भाषा है, रहस्यवादी की भाषा है। कहते हैं जैसा हमने पाया वैसा तुम को दे रहे हैं, लो इसे लो। जो इस वक्त हमें सम्यक्त्व की प्राप्ति हुई है वह बेशक प्रसाद है, बेशक सर्वार्थ है, ध्रुव का उदय हुआ है समय एक सूर्य के समान उदय हुआ है। मानो रत्न जड़ित हार मिल गए हैं। इन हारों को, अपनी आत्मा को, चैतन्य चिदानन्द को समर्पित करो। यह ऐसा लगता है मानो कोई पालकी लेकर आया है, सिंहासन पर हमें बिठा दिया है, यह है 'रत्न जड़ित पहरावणी'। जानते हो न तीर्थकरों के प्रगट होता है अशोक वृक्ष-शोक का सब विलय, दिव्यध्वनि मागधी भाषा में परिवर्तित हो जाती है। ऐसा लगता है मानो इष्ट रूपी पुष्पों की वृष्टि हो रही है-वह है असल सहज स्वभाव आनन्द-कैसा होगा वह आनन्द। मैं तुमको बता क्या रहा हूँ, मैं तुम को अनन्त निधि दे रहा हूँ, अमृत वर्षा कर रहा हूँ-मुक्ति का प्रसाद है यह। जो धरोहर लिखकर तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत की है, उसके द्वारा प्रिय स्वभाव-अनन्त स्वरूप की प्राप्ति होगी - जो थाती लिखि प्रवेश दियो प्रिय संसर्ग अनन्त प्रवेश
SR No.538053
Book TitleAnekant 2000 Book 53 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2000
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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