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________________ 53/3 अनेकान्त / 17 उपर्युक्त सभी प्रमाणों से यह स्पष्ट है कि आर्यिका एवं क्षुल्लक आदि संयमी की कोटि में नहीं आते। वे देश-संयमी हैं और मुनिवत् पूज्य नहीं हैं। अतः नवधा भक्ति के अधिकारी सिद्ध नहीं होते। उनकी नवधा-भक्ति करने का कोई विधान किसी भी शास्त्र में नहीं मिलता। आर्यिका आदि को अर्घ्य देने की परम्परा भी चा. चक्रवर्त्ती आ. शान्तिसागर जी के संघ में नहीं थी । अतः यह परम्परा न तो मूलरूप से गुरु परम्परा है और न आगम-परम्परा है। चर्चा नं. 10 आगम-परम्परा तथा गुरु-परम्परा में कौन-सी परम्परा अधिक ग्रहणीय है ? समाधान विवेकियों को यह भी ध्यान रखना चाहिये कि प्राचीन आगम-परम्परा एवं गुरु-परम्परा में, आगम-परम्परा उत्कृष्ट है, गुरु-परम्परा नहीं । जो गुरु-परम्परा आगम-सम्मत नहीं है, उसके बदलने में हिचकिचाहट नहीं करनी चाहिये । चा. च. आचार्य शांतिसागरजी महाराज, गुरु-परंपरा न मानते हुये आगम-परंपरानुसार ही चर्या करते थे । चारित्र चक्रवर्त्ती ग्रंथ पृष्ठ 412 पर लिखा है :- " आचार्य महाराज को क्षुल्लक पद प्रदान करने वाले मुनि देवप्पा स्वामी के समय में मुनि पद में बहुत शिथिलता थी । उस समय देवप्पा स्वामी आहार को जाते थे, पश्चात् दातार से सवा रुपया लेते थे। आचार्य महाराज ने क्षुल्लक पद में भी ऐसा नहीं किया। इस पर देवप्पा स्वामी कहते थे- तुम रुपया लेकर हमें दे दिया करो । आगमप्राण आचार्य महाराज को यह बात अनिष्ट लगी अतः महाराज ने देवप्पा स्वामी ( अपने दीक्षा गुरु) का साथ छोड़ दिया था । " इसके अलावा और भी बहुत उदाहरण स्पष्ट बताते हैं कि गुरु-परम्परा की बजाय आगम - परम्परा का अनुसरण ही श्रेष्ठ है । क्या आर्यिका यदि अर्घ्य चढ़वाकर ही आहार करे, तो उसकी चर्चा नं. 11 चारित्र की विशुद्धि में अंतर पड़ता है ? समाधान यह भी स्पष्ट है कि अर्घ्य चढ़वाने पर ही यदि कोई आर्यिका आहार ग्रहण करती है, तो उससे उस आर्यिका के गुणस्थान में या चारित्र में या चरित्र की विशुद्धि में कोई अन्तर नहीं पड़ता, फिर भी इस परम्परा पर जोर देने का क्या औचित्य है? पू. आर्यिकाओं से निवेदन है कि कोई उन्हें आहार के पूर्व अर्घ्य ने चढ़ाये तो उनको इसमें कुछ भी अंतर न मानकर आहार ग्रहण कर लेना चाहिये । — - - -
SR No.538053
Book TitleAnekant 2000 Book 53 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year2000
Total Pages231
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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