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अनेकान्त
( पत्र - प्रवर्तक : आचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर')
वर्ष - 52 किरण - 3
जुलाई-सितम्बर 1999
1 वीर सेवा मन्दिर का
1. ऐसा योगी क्यों न अभय पद पावै !
2.
2.
3.
हिमालय के दिगम्बर मुनि की सल्लेखना - पद्मचन्द्र शास्त्री
समाज में श्रावकाचार संहिता की आवश्यकता - डॉ. जयकुमार जैन
शिथिलाचार : एक अनुचिन्तन सर्वाधिक चिन्तनीय है शील - शैथिल्य स्थानकवासी जैन महासंघ का एक अभूतपूर्व
निर्णय
- नरेन्द्र प्रकाश जैन
4. अनेकान्त सिद्धान्त का दुरुपयोग
- कुमार अनेकान्त जैन
5. शिखरजी के प्रति हमारे पूर्वजों का योगदान और हमारा कर्त्तव्य
- सुभाष जैन
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