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________________ अनेकान्त / २१ विषय में गहन विचार करते हुए कुछ लेख लिखे थे तथा वे अपने प्रथम लेख में ही इस निष्कर्ष पर पहुँचे थे कि गन्धहस्ति महाभाष्य कल्पनामात्र है। और उनका यह निष्कर्ष आज भी बदला नहीं है। उन्होंने न्यायदीपिका की प्रस्तावना में भी इस विषय पर विशेष विचार किया है । परन्तु उनके निष्कर्ष में कोई परिवर्तन नहीं हुआ । प्रामाणिक जानकारी के अनुसार कुल 8 विद्वानों ने आचार्य समन्तभद्र के महाभाष्य का उल्लेख किया है। वे हैं - चामुण्डराय, लघु समन्तभद्र, अभयचन्द्र सूरि, धर्मभूषणयति, हस्तिमल्ल, अच्चपार्य, पं० बंशीधर शास्त्री और एक अज्ञात विद्वान् । ये सभी विद्वान् 10वीं शताब्दी के बाद के हैं। इनमें से केवल 5 विद्वानों ने महाभाष्य के साथ 'गन्धहस्ति' शब्द का प्रयोग किया है, शेष तीन ने नहीं । चामुण्डराय, अभयचन्द्र सूरि और धर्मभूषण यति गन्धहस्त शब्द के बिना केवल महाभाष्य का उल्लेख किया है । जिन विद्वानों ने आचार्य समन्तभद्र के महाभाष्य का उल्लेख किया है वे प्रायः सभी उल्लेख 12वीं शताब्दी के बाद के हैं। केवल एक उल्लेख ऐसा है जो 11वीं शताब्दी का है । वह उल्लेख विश्वप्रसिद्ध गोम्मटेश्वर बाहुबली की मूर्ति के निर्माता चामुण्डराय का है । चामुण्डराय ने 'त्रिषष्टिलक्षण महापुराण' की कन्नड़ भाषा में रचना की थी। उसका एक पद्य इस प्रकार है - (1) “अभिमतमागिरे तत्त्वार्थभाष्यमं तर्कशास्त्रमं बरेदुवचो । विभदिनिलेगेसेद समन्तभद्र देव रसमानरे बरुमोलरे । ।” इस पद्य में समन्तभद्र के नाम के साथ तत्त्वार्थभाष्यमं और तर्कशास्त्रमं ये दो शब्द आये हैं । इसका मतलब यह है कि आचार्य समन्तभद्र ने तत्त्वार्थभाष्य की रचना की थी तथा वह तर्कशास्त्र का ग्रन्थ है । परन्तु उक्त पद्य में न तो गन्धहस्ति शब्द का उल्लेख है और न महाभाष्य का । उक्त पद्य से यह भी ज्ञात नहीं होता है कि चामुण्डराय ने महाभाष्य को देखा था। अधिक संभावना यही है कि उन्होंने जनश्रुति के आधार पर ही ऐसा लिखा होगा । ( 2 ) लघु समन्तभद्र ने अष्टसहस्त्री की विषमपद तात्पर्यटीका के नाम से टिप्पण लिखे हैं और उन्होंने प्रथम टिप्पण में लिखा है “इह खलु पुरा सूत्रकृमहर्षीणां महिमानमात्मसात् कुर्वद्भिरुमास्वामिपादैराचार्य
SR No.538052
Book TitleAnekant 1999 Book 52 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1999
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size5 MB
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