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________________ अनेकान्त/२६ होती है। जो जल चैत्यगृह के काम आता है वह भी मिट्टी की तरह ही पुण्य को तथा परम्परा स्वर्गमोक्ष को प्राप्त होता है।....... समीक्षा-यह कथन जैनधर्म के एकदम प्रतिकूल है। अतः मान्य नहीं हो सकता। स्थावर जीव काययोग के द्वारा उपकार करें ऐसा कर्तृत्व रूप परिणाम उनके होता ही नहीं। कहा भी है- इदम् अहं करोमीति चेतना कर्मचेतना अर्थात् मैं यह करता हूँ ऐसा अनुभव कर्म चेतना है। तथा इदं वेदयेऽहम् यानी मैं इसे भोगता हूँ ऐसा अनुभव कर्मफल चेतना है तथा एक जानने रूप भाव सो ज्ञान चेतना है। (समयसार ३८७ आ. ख्या., प्र. सा. त. प्र. १२३-२४) परन्तु एकेन्द्रियों के तो मात्र कर्मफल चेतना ही होती है। हाँ, त्रसों के कर्मफल चेतना तथा कर्मचेतना भी होती है। सत्वे खलु कम्मफलं थावरकाया, तसा हि कदजुदं। (पं. काय ३६ ) ऐसी स्थिति में पृथ्वी जल आदि जीव तो मात्र कर्मफल चेतना (अव्यक्त सुख दुःखानुभवरुप) को ही भोगते हैं। अतः उनके लिए “काय के उपकार करके" यह बात सोचनी मिथ्या है। यदि तिर्यंच एकेन्द्रिय गति से ही स्वर्गमोक्ष की टिकिट मिलने लग जाए तो फिर कौन सम्यक्त्वादि धर्म तथा मनुष्यादि पर्यायों को चाहेगा? किंच, अनन्त बार ग्रैवेयकों को प्राप्त करने वाले मुनिराज तथा अनन्त बार समवसरण में जाने वाला जीव भी मोक्ष जावे। यह नियम नहीं, तो भला मंदिर के लिए अजैन मजदूरों द्वारा खोदी जाने वाली मिट्टी को मोक्ष मिलने की बात कहाँ से सही हो सकती है? मिट्टी खोदने वाला वेतनभोगी मजदूर भी जैसे उसी क्षण परिणामानुसार पुण्य या पाप दोनों में से किसी का भी. संचय करता हुआ प्रत्यक्ष ही अनुभव में आता है। वैसे ही उसी क्षण गंती की प्रहार से खोदी जाकर, वेदना से-पीड़ा से प्रायः अकालमरण को प्राप्त होकर अशुभ कर्म उपार्जनपूर्वक अन्य स्थावर, त्रस पर्याय को वह पृथ्वीकायिक जीव प्राप्त होता है। ऐसी स्थिति में उस पृथ्वीकायिक के लिए पुण्यबन्ध, स्वर्ग तथा मोक्ष होने की बात कहना उचित नहीं है। इसी तरह शेष जलकायिक आदि के लिए भी कहना चाहिए। ऐसा भी सम्भव नहीं कि एक का पुण्य अन्य को लग जाए। जैनदर्शन में तो यह भी असम्भव है। (अमितगति आचार्य-सामायिक पाठ)
SR No.538052
Book TitleAnekant 1999 Book 52 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1999
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size5 MB
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