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अनेकान्त/20
प्रबुद्धजन एवं कर्णधार मिलकर कुछ ऐसा सार्थक कदम उठायें, जिससे इस तरह के शर्मनाक प्रसंगों की पुनरावृत्ति पर ब्रेक लग सके। एक अभूतपूर्व निर्णय
गत 18 जुलाई को दिल्ली स्थित अशोक विहार फेस-1, एफ ब्लाक के जैन स्थानक भवन में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ का एक अधिवेशन संपन्न हुआ, जिसमें दिल्ली के ही पीतमपुरा क्षेत्र में एक लम्बे समय से विराजित सुभद्रमुनि एवं रमेशमुनि को उनके अनैतिक एवं मर्यादाविरोधी आचरण तथा चतुर्थ महाव्रत के भंग के कारण मुनि-संघ से निष्कासित कर दिया गया। महासंघ ने यह भी फैसला किया है कि कोई भी श्रीसंघ न तो उनकी विनय-वदना करे और न उनके किसी कार्यक्रम में सम्मिलित हो। इन दोनों मुनिवेशियों की तलाशी लेने पर उनके पास से अनेक आपत्तिजनक फोटो, अश्लील पत्र, नकद राशि, दूरबीन इत्यादि वस्तुएं बरामद हुई थीं। साधु मर्यादा को ताक पर रखकर वे तांत्रिक अनुष्ठानों में भी लिप्त पाये गये थे।
__ महासंघ ने इस काण्ड में लिप्त जैन साध्वियों के विरुद्ध भी कड़ी कार्यवाही करने का निर्णय लिया है। महासती श्री मगनश्रीजी महाराज के टोले की दो साध्वियों, महासती श्री सुन्दरीजी महाराज के टोले की चार साध्वियों और महासती श्रीस्नेहकुमारीजी महाराज के टोले की एक साध्वी ने लिखित रूप में यह स्वीकार किया है कि उनका इन दोनों मुनियों से मर्यादाहीन पत्राचार एवं संबंध रहा है। वे आचार्यश्री द्वारा निर्देशित दण्ड स्वीकार करने के लिये तैयार हो गयी हैं। महासंघ ने निश्चय किया है कि जब तक आचार्यश्री दंड की घोषणा नहीं कर देते, जब तक ये साध्वियां न तो पट्टे पर बैठकर प्रवचन करेंगी और न ही गोचरी के लिये गृहस्थों के घर पर जायेंगी।
महाधिवेशन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने के लिये इन दोनों दोषी साधुओं ने दिल्ली के बाहर से अपने कुछ तथाकथित समर्थकों को भी बुलवा भेजा था, जिन्होंने आयोजकों से हाथापाई भी की। महासंघ के अनुरोध पर पुलिस के द्वारा ऐसे चार दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लेने के बाद ही अधिवेशन में शांति कायम हो सकी। ये लोग समीपवर्ती हरियाणा से बुलाये