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अनेकान्त/३२
१. पर्याय २ पर्याय समास ३ अक्षर ४ अक्षर समास ५. पद ६ पद समास ७. संघात ८ सघात समास ९. प्रतिपत्ति १०. प्रतिपत्ति समास ११. अनुयोग १२. अनुयोग समास १३. प्राभृत प्राभृत १४ प्राभृत प्राभृत समास १५. प्राभृत १६. प्राभृत समास १७ वास्तु १८. वास्तु समास १९ पूर्व २०. पूर्व समास।
श्रुतज्ञान के अनेक विकल्पो में एक विकल्प एक हृस्व अक्षर रूप भी है। इसके अनन्तानन्त भाग किए जाए तो उसमे एक भाग पर्याय नाम का श्रुत ज्ञान होता है। यह पर्याय ज्ञान सब जीवो के होता है, इस पर कभी आवरण नही पड़ता। जब यही पर्याय ज्ञान के अनन्तवें भाग के साथ मिल जाता है तो वह पर्याय समास कहलाता है। इसके बाद अक्षर ज्ञान प्रारम्भ होता है। उसके ऊपर एक अक्षर की वृद्धि होने पर अक्षर समास ज्ञान होता है। अक्षर समास के बाद पद ज्ञान होता है। इसके बाद एक अक्षर की वृद्धि करके पद समास होता है। पद समास में एक अक्षर की वृद्धि से सघात होता है। संघात मे एक अक्षर की वृद्धि से होता है सघात समास में एक अक्षर की वृद्धि से प्रतिपत्ति होता है उसमे एक अक्षर जोड़ने पर प्रतिपत्ति समास होता है उसमे एक अक्षर की वृद्धि करने पर अनुयोग बनता है। अनुयोग में एक अक्षर रूप ज्ञान की वृद्धि से बनता है अनुयोग समास । अनुयोग समास ज्ञान मे एक अक्षर रूप श्रुत ज्ञान की वृद्धि होने से होता है प्राभूत प्राभूत । प्राभृत प्राभृत मे एक अक्षर रूप श्रुतज्ञान बढ़ने से होता है प्राभृत प्राभृत समास । प्राभृत प्राभृत समास मे एक अक्षर रूप श्रुतज्ञान बढ़ने पर होता है प्राभृत श्रुतज्ञान । यह है प्राभूत का असली मतलब । प्राभृत के जो अन्य अर्थ लगाये जाते हैं उसका कारण है शब्द प्राभूत का अनेकार्थी होना। प्राभृत में एक अक्षर की वृद्धि से होता है प्राभृत समास । उसमें एक अक्षर जोड़ने पर होता है वास्तु । उसमें एक अक्षर जोड़ने पर होता है वास्तु समास उसमे एक अक्षर जोड़ने पर बनता है पूर्व और उसमें भी एक अक्षर की वृद्धि होने पर होता है पूर्व समास । पद समास से लेकर पूर्व समास पर्यन्त समस्त द्वादशांग श्रुत स्थित है। पूर्व में होते हैं कई वस्तु अधिकार में होते हैं बीस-बीस प्राभृत।।
जयचंद जी ने समय प्राभृत की वचनिका में लिखा है कि 'चौदह पूर्वो में ज्ञान प्रवाद नामक छठा (पूज्यपाद के अनुसार पाचवां) पूर्व है तामें बारह वस्तु अधिकार हैं तिनि में एक एक वस्तु में बीस बीस प्राभूत अधिकार हैं तिनि मे दशमावस्तु मे समय नामा प्राभृत के मूल सूत्रनिका शब्दनिका ज्ञान तो पहले बड़े