SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकान्त/१८ कमठ को पुष्पदन्त ने महिपाल नामक राजा और पार्श्व का नाना कहा है। पद्मकीर्ति ने उसे तापस और रइधु ने कमठ कहा है। पार्श्व के माता-पिता : भगवान पार्श्वनाथ के माता-पिता के नाम के संबंध में आचार्यों मे मतैक्य नही है। महाकवि पुष्पदन्त ने गुणभद्र की तरह पिता का नाम विश्वसेन और माता का नाम ब्राह्मी लिखा है। आ० पद्मकीर्ति ने उनके पिता का नाम हयसेन कहकर आ० यतिवृषभ का अनुकरण किया है।, किन्तु रइधु ने उनके पिता का नाम अश्वसेन लिखा है। उनकी माता को पद्मकीर्ति और रइधु ने न तो पुष्पदन्त की तरह ब्राह्मी और न यतिवृषभ की तरह वर्मिला नाम दिया। इन दोनो ने उनका नाम वामादेवी लिखा है। पार्श्व की जन्म भूमि : पुष्पदन्त आदि सभी आचार्यो ने पार्श्वनाथ की जन्मभूमि वाराणसी मानी है। जैन धर्म की दोनो परम्पराएँ आज भी भेलूपुर, वाराणसी को उनकी जन्मभूमि मानती है। पार्श्व की जन्मतिथि : भगवान पार्श्वनाथ की जन्मतिथि के सबध मे आचार्यो मे मतभेद नहीं है। आचार्य पद्मकीर्ति ने यद्यपि तिथि का उल्लेख नहीं किया, किन्तु आ० गुणभद्र की तरह माना है कि भ० नेमिनाथ के ८३७५० वर्षों बाद शुभ नक्षत्र योग मे पार्श्वनाथ का जन्म हुआ था। उल्लेखनीय है कि यतिवृषभ ने ८४६५० वर्ष का अन्तराल भ० नेमिनाथ और पार्श्वनाथ के मध्य माना है। आ० पुष्पदन्त और रइधु ने यतिवृषभ और गुणभद्र का अनुकरण करते हुए पौष कृष्ण एकादशी को शुभ नक्षत्र मे प्रात काल भ० पार्श्व का जन्म होना माना है। किन्तु यतिवृषभ की तरह विशाखा नक्षत्र मे उनके जन्म होने का किसी भी पासणाहचरिउ मे उल्लेख नही हुआ है। पार्श्व का वंश और गोत्र : आ० पद्मकीर्ति और रइधु को छोड़कर आ० पुष्पदन्त ने भगवान पार्श्व को उग्रवशी कहकर गुणभद्र और यतिवृषभ का अनुकरण किया है।, किन्तु उन्होने उत्तरपुराण की तरह पार्श्वनाथ के पिता को काश्यप गोत्री होने का उल्लेख नहीं किया। पार्श्व का नामकरण : अपभ्रश भाषा के सभी आचार्यों ने आ० गुणभद्र की तरह निर्देश किया है कि भ० पार्श्वनाथ का नामकरण इन्द्र ने अभिषेक के बाद किया था। किसी ने ऐसा
SR No.538051
Book TitleAnekant 1998 Book 51 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1998
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy