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________________ अनेकान्त/१६ ८. कवि असवाल कृत पासणाह चरिउ : डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री ने ऊहापोह द्वारा इनका समय वि० की १४वी शताब्दी सुनिश्चित किया है। गोलाराड वंश में लक्ष्मण के पुत्र के रुप में उत्पन्न बुध असवाल ने लोणसाहु के अनुरोध से अपने ज्येष्ठ भाई सोणिक के लिए अपभ्रंश भाषा में भ० पार्श्वनाथ के विगत और वर्तमान भव सबंधी घटनाओं को काव्य के रुप मे निबद्ध किया था। बुध असवाल ने अपने “पासणाह चरित्र को १३ सधियो मे विभक्त किया है। इसकी कथावस्तु परम्परागत है। यह ग्रन्थ अद्यतन अप्रकाशित है। डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री के उल्लेखानुसार इस ग्रन्थ की १४० पत्रो वाली अपूर्ण पाण्डुलिपि की एक प्रति श्री अग्रवाल दि० जैन बड़ा मन्दिर, मोती कटरा, आगरा में विद्यमान है। ९. तेजपाल कृत पासपुराण : वि० सं० १४०६ से १४१६ के मध्य जन्म लेने वाले और ताल्हडम साहु के पुत्र कवि तेजपाल ने संभवणाह चरिउ औ वरांग चरिउ के अलावा पासणाह पुराण की रचना की थी। यह एक खण्डकाव्य है, जिसकी रचना पद्भड़िया छन्द मे हुई है। डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री ने इस संबंध मे विशेष परिचय दिया है। यह ग्रन्थ आज तक अप्रकाशित है। डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री के अनुसार इसकी एक प्रति आमेर शास्त्र भंडार, जयपुर और एक प्रति बड़े घड़े का दि० जैन मन्दिर, अजमेर मे सुरक्षित है। १०. पासजिण जमकलसु : इसके रचयिता अज्ञात है। इस अप्रकाशित ग्रन्थ की ३४०-३४१ पत्र वाली पाडुलिपि खेतरवसी भण्डार, पाटन में उपलब्ध है। • ११. पार्श्वनाथ भवान्तर : जयकीर्ति द्वारा प्रणीत यह ग्रन्थ अनुपलब्ध है। १२. सागरदत्त सूरि कृत पासपुराण : सागरदत्त सूरि के पासणाह ग्रन्थ का उल्लेख डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री ने किया है। न तो यह रचना उपलब्ध है और न रचनाकार के संबंध में कोई जानकारी प्राप्त है। उपलब्ध पासणाहचरिउ के आधार पर उन महत्वपूर्ण घटनाओ का विवेचन करना आवश्यक है जो उन्हे एक ऐतिहासिक महापुरुष सिद्ध करती है।
SR No.538051
Book TitleAnekant 1998 Book 51 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1998
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size4 MB
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