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________________ वीर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक अनेकान्त (पत्र प्रवर्तक : आचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर) | वर्ष-५० किरण-४ अक्टूबर-दिसम्बर ९७ ------------------- १. जीव! तैं मूढ़पना कित पायो? -कवि द्यानतराय - २. वन्दनीय साधु ३. 'प्रकृतिः शौरसेनी' सूत्र का वास्तविक प्रयोजन क्या? -डॉ के.आर. चन्द्र । ४. नियमसार की भाषा का अध्ययन -डॉ. ऋषभचन्द्र जैन ‘फौजदार, ५. आचार्य समन्तभद्र द्वारा प्रतिपादित स्याद्वाद -डॉ श्रेयासकुमार जैन ६. जैन धर्म और आयुर्वेद -राजकुमार जैन । ७. एस.एस.एल जैन महाविद्यालय संग्रहालय में संरक्षित जैन प्रतिमाएं -नरेश कुमार पाठक 1८. व्यवहारनय अभूतार्थ नहीं . -रूपचन्द कटारिया आवरण २,३,४ ।। - वीर सेवा मंदिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-११०००२ दूरभाष : ३२५०५२२
SR No.538050
Book TitleAnekant 1997 Book 50 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1997
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size5 MB
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