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________________ पालघाट जिले में जैनधर्म अनेकान्त / 3 - श्री राजमल जैन पालक्काड का चंद्रप्रभ कोविल (मंदिर) केरल की उत्तरी अथवा दक्षिणी सीमा में प्रवेश के लिए यह नगर प्रवेश द्वार के समान है। पाल वृक्षों के जंगलों के कारण यह पालक्काड कहलाता है। यहां जो दर्रा है, वह शेष भारत से करेल को मानों पृथक ही करता है। वैसे पश्चिमी घाट पर्वत माला में केरल और उसकी सीमा को तमिल एवं कर्नाटक प्रदेश से पृथक करने वाले 18 दर्रे हैं। इस पर्वत श्रृंखला के कारण भी केरल की दृश्यावली सुंदर बन गई है। रेलमार्ग द्वारा यात्रा करने पर तमिलनाडु के कोयम्बत्तुर जंक्शन के बाद वाळयार नामक स्थान से केरल की सीमा प्रारंभ होती है। नगर का मलयालम नाम पालक्काड है। वास्तव में पालक्काड शहर रेलवे स्टेशन से पांच किलोमीटर की दूरी पर है। पालघाट स्टेशन का पुराना नाम ओलवक्कोड है। रेलवे समयसारणी में अभी भी यह नाम देखा गया है। जैन मंदिर के लिए पालघाट जंक्शन पर उतरना चाहिए न कि पालघाट टाउन पर जो कि शहर का स्टेशन हैं चंद्रप्रभु मंदिर जैनमेडु नामक मुहल्ले में स्थित है। मेड्डु का अर्थ है टीला । वैसे यह मंदिर कुछ ऊंचे स्थान पर अवस्थित है। इसी स्थान का प्राचीन नाम माणिक्यपट्टणम् बताया जाता है। कुछ लोग अब भी इस नाम का प्रयोग कर देते हैं क्योंकि यहां रत्नों का व्यापार होता था जो कि अधिकांश जैनों के हाथों में था । जैन मंदिर का परिसर माणिक्यपट्टणम् ही कहलाता है। आजकल इस स्थान पर तमिलभाषियों की आबादी अधिक हो गई। उन्होंने इस जगह का नाम बदलकर चुणांपुतरा कर दिया है। इसी मुहल्ले को वटक्कनतेर बड़ा बाजार भी कहते हैं । यह नाम आसपास के वर्तमान गांव का है जिसका उल्लेख डाक आदि के संदर्भ में किया जाता है। केरल गजेटियर में तमिल नाम का ही प्रयोग किया गया है । इतने नामों के होते हुए पी बसवाले और अन्य वाहनचालक जैनमेड का प्रयोग करते हैं । वे इस नाम से भलीभांति परिचित हैं। यात्री को यह जानकारी ध्यान में रखनी चाहिए। जैनमेड़ पालककाड शहर और ओलककोड स्टेशन के बीच में पड़ता है ओर शहर से आनेवाले मुख्य मार्ग पर स्थित है। ध्यान रहे वाहनचालक पालघाट जंक्शन को ओलककोड कहते हैं ओर उससे पहले निला या कल्पात्ति नदी के दक्षिणी किनारे पर जेनमेड़ स्थित है। वह नदी स्टेशन से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर आती है।
SR No.538049
Book TitleAnekant 1996 Book 49 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1996
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size5 MB
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