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अनेकान्त/17 3. तथैव, 'प्राकृत भाषा और साहित्य का इतिहास, तारा बुक डिपो, काशी, 1988
पेज 30-40 4. तिवारी भोलानाथ; 'सामान्य भाषा विज्ञान' इलाहाबाद 1984 5 सिआ हीरालाल, 'शौरसेनी आगम साहित्य की भाषा का मूल्यांकन, कुन्दकुन्द
भारती, दिल्ली 1995 6. जैन सुदीप' व्यक्तिगत पत्राचार 7. आचार्य कुन्दकुन्द; 'समयसार, कुन्दकुन्द भारती दिल्ली, 1978 8 मालवणियां दलसुख, 'आगमयुग का जैन दर्शन', सन्मति ज्ञानपीठ आगरा 1966 9. रत्नागर, शिरीन, 'हॉट लाइन, बंबई 9-2-96 पेज 30 10.शास्त्री बालचन्द्र, 'षट्खंडागम एक अनुशीलीन',भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली 1992 11 शास्त्री पद्मचन्द्र; 'अनेकान्त दिल्ली 46-47. 4-1. 1993-94 12 जैन सुदीप; 'प्राकृत विद्या, दिल्ली 7-3-1995 पेज 62 13 शास्त्री पद्मचन्द्र, 'अनेकान्त दिल्ली (अ) 47-4, 18994 (ब) 48-1, 1995 14 जैन बलभद्र, देखिये, संदर्भ 7 मुन्नुडि तथा 'प्राकृत विद्या' दिल्ली (स)
5, 2-3, 1993 15.आप्टे व्ही.एस., "संस्कृत इंगलिश डिक्शनरी', मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली
1993 पेज 393 16 देखिए सदर्भ 2 17.शास्त्री पद्मचन्द्र; 'हिमालय में दिगंबर मुनि' कुन्दकुन्द भारती दिल्ली 1995 18 जैन एस ए. 'रीयल्टी' ज्वालामालिनी ट्रस्ट मद्रास 1992 19 जैन उदयचन्द्र; 'कुन्दकुन्द शब्दकोष' विवेक विहार दिल्ली 20 स्वामी सुधर्मा, 'समवाओ जैन विश्वभारती लाडनूं। 1954 पेज 183 21 ढाकी एम ए (अ) दल सुखमालवणिया अभि. ग्रथ पेज 187 व्यक्तिगत चर्चा 22 खडबडी बी के, "प्राकृत विद्या दिल्ली 7-3-95 पेज 97 23. जैन राजाराम; तथैव पेज 75 24. देखिये संदर्भ 8 और 4 25 जैन गोकुल चन्द्र, 'जैन सिद्धांत भास्कर' आरा 45, 1-2 1992 पेज 1-9 अं. 26 चन्द्र के आर, 'प्राकृत विद्या' दिल्ली 73 1995 पेज 39 तथा व्यक्तिगत चर्चा 27 जैन अजित प्रसाद, 'शोधादर्श, नवम्बर लखनऊ 28 जैल एम एल , अनेकान्त पूर्वोक्त अंक 29 आचार्य समन्तभद्र; 'रत्नकरण्ड श्रावकाचार, प्रज्ञा पुस्तक माला लुहर्रा ____ 1983/15 30. वर्णी जिनेन्द्र; जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश-22, भारतीय ज्ञानपीठ 1986
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