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अनेकान्त/27
पालक्काड दर्रा कहलाता है। यह लगभग २० मील चौडा है और तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले को केरल से रेल और सडक मार्ग द्वारा जोडता है। इस दर्रे के अतिरिक्त कर्नाटक के कुर्ग और मैसूर को जोड़ने वाले दर्रे तथा तिग्जेलवेल्ली को त्रिवेंद्रम अन्य दरें भी केरल में जैनधर्म की दृष्टि से महत्व रखते हैं विशेषकर केरल के वानाड जिले को मैसूर से जोडने वाला दर्रा । __ पर्वतमाला के कारण केरल का एक नाम मलयनाटु या मलनाडु अर्थात् पर्वतों का देश भी रहा है। मलय या मला का अर्थ है पर्वत और नाडु यानी देश । ब्रिटिश सरकार और अरब लोग भी इसे मलाबार कहते थे। अरबी फारसी के शब्द बार से भी देश या प्रायद्वीप का अर्थ लिया जाता है। केरल शब्द का प्रयोग संस्कृत-अपभ्रंश ग्रथों में भी पाया जाता है। दसवीं सदी के एक जैन महाकवि पुष्पदंत ने अपने अपभ्रंश महापुराण मे भी केरल शब्द का प्रयोग किया है। स्वतंत्रता-प्राप्ति से पहले यह प्रदेश, मलाबार, त्रावणकोर और कोचीन राज्यों में बंटा हुआ था। राज्यों के पुनर्गठन के अवसर पर इसके प्राचीन नाम केरल की पुन प्रतिष्ठा हुई। __केरल किसी समय चेरनाडु या चेर राजाओं का देश भी कहलाता था। ईसा की दूसरी सदी में चेर राजधानी वजि थी जो कि आधुनिक कोडंगल्लूर के रूप में पहिचानी जाती है। उस समय के युवराजपाद इलगो अडिगल ने तमिल में कोवलन और कण्णगी नामक जैन श्रावक और श्राविका की अमर कहानी एक महाकाव्य के रूप मे मिलती है। इलगो जैन थे। उन्होने अपने राज्य को चेर कहा है। उनकी कृति से यह भी ज्ञात होता है कि किसी समय केरल तमिलगम (Tamilkam) या तमिलनाडु का एक भाग रहा है। जिसके तीन प्रमुख शासक
चेर, चोल और पांड्य थे। आठवी-नौवी सदी के सुप्रसिद्ध जैन महाकवि जिनसेनाचार्य ने अपने विशालकाय सस्कृत महापुराण मे ऋषभदेव द्वारा विभाजित देशो मे चेर नाम ही गिनाया है। सम्राट अशोक के एक शिलालेख में भी चेरलपुत्र नाम आया है। यह लेख ईसा से लगभग २०० वर्ष प्राचीन है। इतिहासकारो ने इससे चेर शासक का अर्थ लिया है। इससे भी इसके कुछ भाग का चरनाडु नाम सिद्ध होता है । मलयालम भाषा के प्रसिद्ध कोशकार डॉ गुण्डर्ट इसे चेरम के कानडी उच्चारण से व्युत्पन्न मानते हैं। जो भी हो, केरल का एक नाम चेरम या चेरल या चेरनाडु था और वह जैनधर्म से संबंधित था।
यह भी एक मान्यता है कि केरल नाम केर (Coconut) या नारियल के कारण व्यवहार मे आया अर्थात् वह प्रदेश जहा नारियल की बहुतायत हो । इसमें तो जरा भी सदेह नहीं कि केरल की मुख्य उपज नारियल ही मानी जा सकती है। वहां मानों इसके जंगल ही है। शायद ही कोई ऐसा घर मिलेगा जिसके