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________________ अनेकान्त/२५ से.मी आकार की तीर्थकर प्रतिमा लाल वल् आ पत्थर पर निर्मित है । (सं क्र. ३८) वक्षस्थल पर श्रीवत्स, चेहरा घिसा है । पादपीठ पर दाये-बायें द्विभंग मुद्रा में चामर धारिणी है | प्रतिमा जैन मंदिर के अलकरण हेतु प्रयुक्त की गई होगी । द्वितीय, ग्यारहवी शती ईस्वी का किसी जैन प्रतिमा का दाया परिकर भाग है । (स० क्र० ४६) जिसमें प्रथम दांयी और नीचे अस्पष्ट जाल्वर ऊपर मकर व्याल उसके ऊपर पुरुषाकृति है । द्वितीय भाग मे पद्मासन मुद्रा मे तीर्थकर ऊपर मालाधारी विद्याधर है । समीप ही नारी प्रतिमा है । तृतीय सोलहवी शती ईस्वी की १९x१४६ से मी आकार की वेसाल्ट प्रस्तर पर निर्मित प्रतिमा मे तीर्थकर पद्मासन मे बैठे हुए है । (स० क्र०५८) तीर्थकर का मस्तक नही है । पीठिका पर एक पक्ति का लेख है "श्री महा श्री विजय सेन सूरि'' अंकित है । कायोत्सर्ग मुद्रा मे निर्मित प्रथम 3,४३१४१२ मे मी आकार की तीन मानव कृतिया उत्कीर्ण है । (स० क्र० ६१ वी ) दायें प्रथम मालाधारी विद्याधर, द्वितीय मे कायोत्सर्ग मुद्रा मे नीर्थकर तृतीय अस्पष्ट है । द्वितीय १६४१४४६ से मी आकार की प्रतिमा ऊपर पद्मासन मे नीचे कायोत्सर्ग मुद्रा मे तीर्थकर है । (म० क्र० ६१ डी ) ऊपरी प्रतिमा का चंहग कटा हुआ है । नीचे वाली प्रतिमा के वक्ष से नीचे का भाग कटा हुआ है । तृतीय ११x६४३ से मी. आकार की लाल प्रस्तर पर निर्मित किसी जैन तीर्थकर की कायोत्सर्ग मुद्रा में छोटी प्रतिमा है । (स, क्र० ७८ वी ) इसका चेहरा तथा केश विन्यास वाला भाग खण्डित है। नीर्थकर मस्तक संग्रहालय मे यात तीर्थकर मग्तको का संग्रह है । प्रथम नौवी शती ईवी का १७४१३४९ से मी आकार का किसी तीर्थकर प्रतिमा का मस्तक है । (स० क्र. १२) सौम्यरूप मे तीर्थकर के कतलित केश दृष्टिगत है । मस्तक पूर्णरूप से सिन्दूर से पता है । द्वितीय ग्यारहवी शती ईवी का ३५४२०४२० से मी आकार का तीर्थकर प्रतिमा का मस्तक भाग है । (स० क्र. १३) जिसमें कुन्तलित केश भाग एव मुखमुद्रा ही दृष्टिगत है । मस्तक मिन्दर में अत्यधिक पता हुआ है | तृतीय ग्यारहवी शती ईम्वी का ३८४१५४१२ सं.मी आकार का लाल बलुआ पत्थर पर निर्मित तीर्थकर प्रतिमा का मस्तक भाग है । (स० क्र०२९) सिर पर कुलित कंश, मुख पर सिन्दुर पुता है ठोड़ी का भाग भग्न अवस्था में है । चतुर्थ ग्यारहवीं शती ईबी के २३४११४१५ मी. आकार का लाल बलुआ पत्थर पर निर्मित नार्थकर प्रतिमा का मस्तक है । (स० क्र ३०) सिर पर कन्नलित कंश, चेहरा स्थान-स्थान पर घिया है. मिर का ऊपरी आधा भाग कटा हुआ है । इस स्थान पर सिदर का लंप है । पचम ग्यारहवीं शती ईवी का १८४१२४५ से.मी. आकार का तीर्थकर मस्तक है (स) क्र. ३१) गिर पर कुन्तलित कंश, ग्रीवा का निचला भाग भग्नावस्था में है । मब पर घिस होन के निशान है । पष्टम चौदहवी शती ईग्यो का 36-3, १० ग मी आकार का दानंदार का पत्थर पर निर्मित तार्थकर प्रतिमा का मस्तक है ( मक ) सिर पर कन्नलित कंश है । प्रकृति के प्रकोप से प्रतिमा काफी घिस गयी है । सप्तम ८x, x ६ मा आकार का गफंद संगमरमर पन्थर पर निर्मित
SR No.538048
Book TitleAnekant 1995 Book 48 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1995
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size5 MB
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