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________________ बेबाक बुलासा पूजक साधुओ से नि.संदेह कई गुनी है। हां, सभी प्रकार हारने के बाद भी बड़ी चालाकी से अन्य जनो को अंधेरे के परिग्रह त्यागी नग्न दिगम्बर मुनि ४७५ हैं। कठिन मे रखकर १९६५-६६ मे सरकार से अनुबंध कर लिया तपस्या का तो गिने-चुने लोग ही पालन कर सकते हैं। कि यह ट्रस्ट सरकार से ६० प्रतिशत पहाड़ की आय वैसे यहां यह बताना आवश्यक है कि जिस बिहार प्रदेश लेगा। इससे ट्रस्ट को करोड़ों रुपये की आय हुई। किन्तु मे यह तीर्थ है, वहां श्वेताम्बर मूर्तिपूजको को सख्या पहाड़ के विकास के नाम पर एक पैसा भी खर्च नही वहां के समूचे जैन समाज की संख्या के मुकाबले एक किया गया। प्रत. यह पावनिक धन पर्वत के । प्रतिशत भी नहीं है। अतः यह आश्चर्य की बात है कि पर न लगकर व्यक्तिगत तिजोरियों में जाता रहा है। बिहार से बाहर अहमदाबाद के कुछ सेठ-सामन्तों ने इस मैन समाज जागचका है: क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है। उपरोक्त तथ्यो से यह स्पष्ट है कि समस्त जन समाज विकास के नाम पर : ___ की इस परम पावन धरोहर श्री सम्मेदशिखर जी पर इनका यह आरोप भी निराधार है कि कल्याणजी पवेताम्बर मतिपूजकों का कब्जा अलोकतात्रिक है। अब मानन्दजी ट्रस्ट को साहू अशोक जैन 'स्टे आर्डर' लेकर समस्त जैन समाज जाग चुका है, जिसका प्रमाण दिल्ली विकास कार्य से रोकते रहे हैं । वस्तुस्थिति इसके विपरीत रली है। अतः सामन्तवादियो के मनसूबो को अब और है। सारा चढ़ावा यह ट्रस्ट लेता है जबकि इस ट्रस्ट ने सहन नहीं किया जा सकेगा। बिहार सरकार का अध्याआज तक कोई विकास कार्य पहाड़ पर नही किया इसके देश लोकतात्रिक, वैधानिक और न्याय पर आधारित है। विपरीत सम्नेदाचल विकास समिति द्वारा किये जा रहे इस अध्यादेश के लागू होने पर समस्त जैन समाज को विकास कार्य को जबरन रोका और अदालत से स्टे इस पवित्र तीर्थ क विकास, सचालन एव व्यवस्था में आर्डर लिए हैं। पर्वत पर बिजली नही लगने दी। पेयजल योजना का तीव्र विरोध कर उसे रुकवा दिया। समान रूप से मागीदारी के अलावा मालिकाना हक भी प्राप्त होगे। इससे अल्पसंख्यक जैन समाज में एकता प्राचीन चरण बदलने का दुष्कृत्य : बढ़ेगी और यात्रियो को सुविधाए मिलेगी। पहाड़ पर बीस मदिरो (टोंकों) मे पुरातन श्रमण परम्परा के अनुरूप तीथंकरों के चरणचिन्ह दिगम्बर गांधी जी का स्वप्न साकार होगा : आम्नाय के अनुसार स्थापित हैं, जिन्हें जैन समाज सदियो सम्मेदशिखर पर्वत के विकास के साथ-साथ इस से पूजता रहा है। इस ट्रस्ट ने विकास के नाम पर चार आदिवासी बहुल अंचल का भी विकास होगा। वहीं रह टोको पर जब पुगने चरण उखाड कर नये स्थापित कर रहे पिछड़ी जाति के नागरिको को विशेषकर भील जाति दिये और आगे भी विकास के नाम पर अन्य टोकों के के लोगों को रोजगार के अधिक अवसर चिकित्साचरण बदलने जा रहे थे, तब दिगम्बर समाज ने मुकदमा मकमा सुविधाएं तथा शिक्षा के साधन प्राप्त होगे । यह सर्वविदित सुविध करके इस कुकृत्य को रोका था। प्रिवी काउंसिल' ने है कि सदियों से इस अचल के नागरिको का शोषण होता सब जज रांची के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें जज रहा है और कल्याण कार्यों की दृष्टि से आज भी इसकी महोदय ने बदले गये चरणों के स्थान पर पुनः पुराने उपेक्षा हो रही है। यदि यहां वास्तविक कल्याण कार्य चरण स्थापित करने के आदेश दिए थे। परे कार्यकाल में किये जा सके तो आजाद भारत म निर्ब नो के उद्धार का विकास कार्य के नाम पर यही उलटफेर श्वेताम्बर मनि. महात्मा गाधी का स्वप्न समुच साकार हो सकेगा। पूजको के ट्रस्ट ने अजाम दिया है। हमारी अपोल : आय कहां जाती है? हमे पूर्ण आशा और विश्वास है कि श्री सम्मेदशिखर जमीदारी उन्मूलन नियम के अनुसार १८५३ मे जी पर्वत की मुक्ति के लिए भारत सरकार, सम्बन्धित बिहार सरकार इस पहाड़ की स्वामी हो गयी। चूकि मत्रीगण, सांसद, विधायक, अधिकारी, गणमान्य नागरिक इस ट्रस्ट का अनधिकृत कम्जा था, अतः ट्रस्ट ने मुकदमा (शेष पृ०६ पर)
SR No.538047
Book TitleAnekant 1994 Book 47 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1994
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size6 MB
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