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________________ १८, वर्ष ४६, कि० ३ अनेकान्त १५. सौरई के एक प्रतिमा विहीन मंदिर के लेख में Mathura (in "Mathura, The Cultural निर्माता को पावती गोत्र का चंदेरिया बैंक का Heritage" Editor D.M. Srinivasan), 1989, लिखा गया है। नवलमाह चदेरिया ने भी वर्धमान Page 333 पूराण में अपना गोत्र "प्रजापति" लिखा है जो २८. ज्योतिप्रसाद जैन, प्रमुख ऐतिहासिक जन पुरुष और पद्मावती का अपभ्रश लगता है। महिलायें, भारतीय ज्ञानपीठ, १९७५ ई पृ. ६५-६६ । १६. बंदेलखड मे (चदेरी मडल के अलावा) परवार जाति २९. खंडेलवाल जैन साहित्य का वृहद् इतिहास ।। के लेख १७वी शताब्दी से पाये जाते है। देखिए ३०. बहार के लेखो मे पोरवाल व पौरपट्ट दोनों शब्द "जिनमति प्रशस्ति लेख', कमलकुमार जैन छतरपुर, वर्तमान परवार जाति के लिए ही प्रयुक्त किये गये मे फलचन्द्र मिशानशास्त्री को प्रभावना, पृ. ३०। मालूम होते हैं। चंदेलकाल में यहाँ श्रीमाल मंडल दर्तमान मे बंदेलखंड में प्रमुख जैन जाति यही है। के श्रावको का (श्रीमाल, प्राग्वाट, ओसवाल, पल्ली२०. बंदेलखड में बसने वाले गोलाराडे खरोआ व मिठौआ वाल) आना नही था, ऐसा प्रतीत होता है। संभवतः दोनो ही श्रेणियो के थे। फिर भी कालांतर में वे यहाँ अग्रवालो का आना भी नही था। एक धातु की सभी मिठौआ कहलाये । देखिए --गमजीत जैन, श्री स. १३८६ की प्रतिमा छतरपुर मे है, जिसमे अग्रोतदि. जैन खरौआ समाज का इतिहाम, प्र. गयेलिया कान्वय का उल्लेख है, पर हो सकता है वह अन्यत्र जैन धर्मार्थ ट्रस्ट, ग्वालियर, १९९० । से लाई गई हो। हरियाणा व श्रीमालमहल दोनों ही २१. कस्तूरचन्द्र कामलीवाल, खंडेलवाल जैन समाज का यहाँ से बहुत दूर है। वृहद् इतिहास, पृ. ३८ । ३१. यशवंत कुमार मलैया, जैन साधुओं का कुटक अन्वय, २२. आ. भा. दिगम्बर जैन डायरेक्टरी, प्र. ठाकुरदास अप्रकाशित लेख । भगवानदास जवेरी, १९१४ ।। ३२. मित्र, पृ. ११८-१२७ । मदनपुर मे प्राप्त स. १२३६ २३. झम्मन लाल जैन न्यायतीर्थ, श्री लमेंच दि.जैन के पृथ्वीराज के दो लेखों में भी जेजाभक्ति को लटे समाज इतिहास, १९५१ एव रामजीन जैन, जैसवाल जाने का उल्लेख है। जंन इतिहास, १९८८। ३३. मित्र, पृ. १३९ । २४. यशवत कुमार मलया, गोलापूर्व जाति के परिप्रेक्ष्य ३४.R.C. Majumdar (Ed.), The History and मे, प. बशीधर व्याकरणाचार्य अभिनदन प्रथ, १९६० Cultural of lodian People : The Struggle पृ. १०३-१६०। for Empire, P.69. २५. दिगम्बर जैन डायरेक्टरी। २६ यशवंत कुमार मलैया, वर्धमान पुराण के सोलहवें C Computer Science Department अधिकार पर विचार, अनेकांत, वर्ष २५, अ. २, Colorado State University अगस्त १९७४, पृ. ५८-६४ । Fort Collins Co 80525 २७. N. P. Joshi, Earlp Jain Icons from USA
SR No.538046
Book TitleAnekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1993
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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