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________________ दुर्भाग्य यह है कि अभी भी कई आगम ग्रन्थों के मूलपाठ निर्धारित नहीं हो पाये हैं ! यह कार्य प्राथमिकता देकर सम्पन्न होना चाहिए । अभी कुछ कार्यो की व्यस्तता है । अन्यथा इस विषय पर विस्तार से चर्चा करने का मन है । कभी एक संगोष्ठी आप जैसे मनीषी व खोजी विद्वानों की इसी विषय पर करने का विचार है । सब मिलकर किसी एक शौरसैनी आगम ग्रन्थ का सम्पादन कर उसे आदर्शरूप में उपस्थित करें तो आगे का रास्ता प्रशस्त हो सकता है । "जैनशौरसेनी प्राकृत व्याकरण" पुस्तक हमारे सहयोगी डॉ. उदयचन्द जैन ने तैयार की है। प्रयत्न है, इसे शीघ्र विद्वानों के समक्ष लाया जाय। तब शायद आगम में फेर-बदल का नियोजन हो सके । और सब ठीक है। आपका प्रेम सुमन नग्न दिगम्बर रूप की महत्ता इतिहास की एक घटना है कि श्रावस्ती के राजा सुहेलदल को हराने के लिए लखनऊ के नवाब राजा ने अपनी सेना के आगे गऊओं को रखा। राजा गोभक्त था । लड़ाई के मैदान में उसने हथियार डाल दिये और परिणाम यह हुआ कि राजा लड़ाई में हार गया । इसी प्रकार पं० बलभद्र जी हमारे परमपूज्य नग्न दिगम्बर स्वरूप को आगे रख कर वही नीति अपना रहे हैं । उन्होंने आचार्य विद्यानन्द जी को अनुचित परामर्श देकर भरी सभा में वीर सेवा मन्दिर और पं० पद्मचन्द शास्त्री के विरुद्ध अपमान जनक प्रवचन करा दिया । हम उत्तर देने में सक्षम थे, किन्तु हमारे सामने वह दिगम्बर रूप आ गया जिसके सामने हम सदा 12
SR No.538046
Book TitleAnekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1993
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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