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________________ सामाजिक प्रदूषण का जिम्मेदार कौन ? "प्राकृतविद्या" के जुलाई-दिसम्बर 93 के अंक में "सामाजिक प्रदूषण" के अन्तर्गत पण्डित बलभद्र जैन का वीर सेवा मन्दिर के पदाधिकारियों, सदस्यों तथा अनेकान्त के संपादक के विरुद्ध दुराग्रह युक्त संपादकीय पढ़कर बहुत विस्मय हुआ । उनका सम्पूर्ण लेख न केवल मिथ्या आरोपों, असत्य वचनों से भरा है, अपितु नितान्त भ्रामक तथा विरोधाभासी भी है । आश्चर्य तो इस बात का है कि विद्वान् लोग भी मिथ्या और असत्य आरोपों का सहारा लेने लगे और झूठ का अम्बार लगा कर खरगोश के सींग सिद्ध करने की प्रवीणता दिखाने लगे। नितान्त असत्य पण्डित बलभद्र जैन का यह कहना एकदम निराधार है कि वे कभी वीर सेवा मन्दिर की कार्यकारिणी के सदस्य एवं "अनेकान्त" के सम्पादक रहे हैं । संस्था के रिकार्ड के अनुसार वे यहां किसी पद पर नहीं रहे बल्कि महासचिव श्री महेन्द्रसेन जैनी के कार्य-काल में पण्डित बलभद्र जी के वीर सेवा मन्दिर में नि:शुल्क आवास प्रदान करने के अनुरोध को समाज रत्न साहू शान्तिप्रसाद जैन की अध्यक्षता में दिनांक 4-2-74 एवं समाज श्रेष्ठि श्री श्यामलाल जैन ठेकेदार की अध्यक्षता में दिनांक 30-5-74 को हुई कार्यकारिणी की बैठकों में इस कारण अस्वीकृत कर दिया गया क्योंकि उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ तथा मुनि-संघ कमेटी से वेतन के रूप में पर्याप्त धन मिलता था । यह तो हम नहीं समझ पा रहे हैं कि असत्य कथन से पण्डित बलभद्र जी को किस लक्ष्य की प्राप्ति हो रही है । इसके दो ही कारण
SR No.538046
Book TitleAnekant 1993 Book 46 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1993
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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