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________________ प्रकलखेवको मौलिक कृति तत्त्वावातिक में आता है । जैसे-'संसारान्तं गतः' ससार का अन्त हो अर्थ का ज्ञान । कहीं सत्यता में आता है। जैसे-'प्रत्ययं गया। कु इसमें सत्य करो, यह अर्थ होता है। क्वचित् कारण __ अन शब्द भोजन, सेवन तथा खेलने के अर्थ में आता अर्थ मे प्रत्यय शब्द आता है-'मिथ्यादर्शन, अविरति, प्रमाद, कषाय और योग ये प्रत्यय हैं अर्थात् कर्मादान में प्रत्यय शब्द के अनेक अर्थ होने पर भी 'लब्धिप्रत्ययं कारण है । इस सूत्र में प्रत्यय शब्द कारण का पर्यायवाची च' सूत्र में हेतु अर्थ में लेना चाहिए। क्वचित् ज्ञान अथं जानना चाहिए"। मे प्रत्यय शब्द आता है। जैसे-'अर्थाभिधान प्रत्यया -बिजनौर (उ० प्र०) सन्दर्भ-सूची १. तत्त्वार्थवार्तिक १।२।२४. १६. वही ७।२२।१०. २. वही ८।१।१३. १७. वही ॥३६७-८. ३. वही ८११२-१४. १८. वही ११६।१४. ४. वही ८।१।१५-२७. १६ वही २।।१२. ५. अन्ये अन्यथालक्षणं मोक्ष परिकल्पयन्ति-रूपवेदना २०. वही १॥३२॥३. संज्ञा सस्कार विज्ञान पञ्चस्कन्धनिरोधादभावो मोक्षः २१. न्याय कुमुदचन्द्र : प्रस्तावना पृ० ४४. इति । त० व.तिक। २२. तत्त्वार्थ वा. ८१८-१२. २३. वही ८।१।१३. ६. अविद्याप्रत्ययाः संस्काराः इत्यादिवचनं केषाञ्चित् । २४. न्यायकुमुदचन्द्र : प्रस्तावना पृ. ४४. वही १९११४६. २५. तत्त्वार्थवातिक १।१३. ७. तत्त्वार्थवार्तिक ११०५२. २६. वही १।१२१-२२. ८. केचित्तावदाहुः 'अनन्ता लोकधातवः' वही श६४. २७. वही १३२२५. ६. वही ॥१७॥२३. २८. वही ११॥२७. १०. वही ५॥१७॥३४॥ २६. वही ११॥३४. ११. वही ॥१७४१. ३०. वही ११०५. १२. वही ५१८।११. ३१. वही १८७-८, १३. वही ५।१६।३२. ३२. वही १.२२।१. १४. वही ५।२२।१५. ३३. वही २।२३।४. १५. वही ६।१०।११. ३४. वही २१४७११.
SR No.538045
Book TitleAnekant 1992 Book 45 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1992
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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