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________________ २९ श्री पं० देवीदास कृत चौबीसी-स्तुति केवल सदि(द)ष्टि आई संपति अट्ट पाई सकल पदारथ समय में एक परफे। तिनही सपारस जिनेस को बड़ाई जाके सुनै जग माहि भव्य प्रानो महां हरषे ॥७॥ श्री चन्द्रप्रभु स्तुति कण्डरि(ल)या-देवा देवानिके महाचन्द्रा प्रभु पद जाहि। बंदी भवि उर कमलिनी विगसत देखे ताहि। विगसत देखें ताहि स तो सब लोक प्रकासी। केतक करें प्रकास चन्द्रमहिं ज्योति जरासी। विमलचन्द्र मह चिन्ह देववानी सम मेवा । चंदा सहित कलंक वे स निकलंकित देवा ।।।। पहुप दंत स्तुति कवित्त छंद-मारयो मन तिन्हि मदन डरयो पि(पू)नि भगत अंत तिहि मिली न थानि । समोसरन महि सो प्रभ पग लर पहप रूप हो वरषौ आनि । पुनि तिन्हि की सुनाम महिमा सौं अपगुन भयौ महागुन खानि । तेई पहपदंत जिनवर के सेवत चरन कमल हम जानि ।।६।। श्री सीतल नाथ स्तुति कवित्त छंद-सीतल सरस भाव समता रस करि सपरम अतर उर भीनो। अति सीतल तुषार सम प्रगटे गुन उर करम कमल बन दोनो। दरसन ज्ञान चरन पुनि सीतल निरमल जगे सहज गुन तीनो। सीतलनाथ नमों स आपु तिन्हि सहज सुभाब आप लखि लीनौ ।।१०।। श्री श्रीयंस (श्रेयांस) नाथ स्तुति सवैया २.-चौसठ चंवरि जाके सीस सर ईस ढारं अतिशय विराजमान तास चारि अगरे। आठ प्रतिहार अन अंत है चतुष्टय को सति न्हि को प्रकाश लोकालोक वर्षे वगरे। क्षुधा तषा आदि जे सुरहित अठारह दोष सुद्ध पद पाय मोक्षपुरी काजै डगरे। धरिक सहाथ माथ नमौं सो श्रीयांसनाथ मिट तिन्हि सों सजगसौ अनादि झगरे ॥११॥ श्री वासुपूज्य स्तुति सवैया ३१-घातिया करम मैटि सहज स्वरूप मेंटि भये भव्य तिन्हें जे करैया ज्ञान दान के। हेतु लाभ मोष (क्ष) को सुआतम अदोष को अतीन्द्रिय सख भाग अतराय करै हान के। उपभोग अंतराय जैसी विभूति पाइ समो सरनादि सुख हेत निरवान के। वीरज अनंत व्रत्य दर्शन प्रकाश्यो सत्य असे वासुपूज्य सो समुद्र शुद्ध ज्ञान के ॥१२।। श्री विमल नाथ स्तुति तेईसा-निर्मल धर्म गह्यौ तिन्हि पर्म सनिर्मल पंथ लह्यो परमारथ । निर्मल ध्यान धरयो सर्वज्ञ जग्यो अति निर्मल ज्ञान जथारथ । निमल सुक्ख सुनिर्मल दृष्टि विषं सब भासि रहे सुपदारथ । निर्मल नाथ को हमरी मति ज्यौं अपनी सुकर्यो सब स्वारथ ॥१३॥ श्री अनंतनाथ स्तति सवैया ३१-सहज सुभाव ही सौं वीतत विकल्प सबै लखौ तिन्हि जगत विलास जैसे सपनो। जानिबो सजान्यो देखि वोहतो सुदेखो सब दिव्यो ज्ञान दर्शन खिप्यो समस्त झपनो। .
SR No.538045
Book TitleAnekant 1992 Book 45 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1992
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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