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________________ अतिशय क्षत्र महार के जैन यन्त्र उत्कीर्ण है (१०) मोक्षमार्ग-चक्र यन्त्र १. सवत् १९६६ फागुण वदी ११ ताम्र धातु से निर्मित वर्तलाकार ८ इच के एक २. प्रतिष्टत नग्र सरकनपुर फलक पर उत्कीर्ण इस यन्त्र के नीचे भी लेख है, जिसमें विशेष यन्त्र की अहार क्षेत्र मे संवत् २०१४ मे प्रतिष्ठा कराये इम यत्र लेख से ज्ञात होता है कि ग्राम सरकनपुर मे जाने का उल्लेख है । लेख निम्न प्रकार हैसम्वत् १९६६ मे कोई विधान आयोजित हआ था जिसमे विक्रम सवत् २०१४ फाल्गुण शुक्ला पञ्चम्यां रविजिसमे इस यत्र की प्रतिष्ठा कराई गयी थी। यह यन्त्र वासरे अहारक्षेत्र श्री इन्द्रध्वज पचकल्याणक गजरथ सम्भवत' सुरक्षा की दृष्टि से अहार क्षेत्र को सौपा गया प्रतिष्ठ यां प्रतिष्ठापितम् । प्रतीत होता है । यह भी सम्भव है कि सरकनपुर के जनों (१२) वर्द्धमान-यन्त्रम् ने अहारक्षेत्र मे अकर विधान आयोजित करके इस यन्त्र ताम्रातु से निर्मित ६.६ वर्तुला कार फलक पर को प्रतिष्ठा कराई हो। निर्मित इस यन्त्र पर सस्कृत भाषा और नागरी लिपि में (७) ऋषिमण्डल-यन्त्र निम्न लेख उत्कीर्ण हैपीतल धानु मे वर्तुला कार में निर्मित इस यन्त्र का विक्रम संवत् २०१४ फाल्गुण शुक्ला पंचम्यां रविपलक ६.६ इच आयताकार है। नीचे सस्कृत भाषा और वासर अहाक्षत्र था इन्द्रध्वन पचल्याणक गजरथ नागरी लिपि में निम्न लेख उत्कीर्ण है प्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापिताम् । मबत् १७६१ वर्षे फागुन सुदि ६ बुधवासरे श्री मूल (१३) नयनोन्मीलन यन्त सघे वलात्कारगण सरस्वतीगच्छे कुदकुदाचार्यान्वये भट्टारक यह यन्त्र फलक आठ इच वर्तुलाकार ताम्र धातु से श्री विश्वभूषणदेवास्तत्पट्टे भ० (भट्टारक) श्री देवेन्द्रभूषण निर्मित है। नीचे संस्कृत भाषा और नागरी लिपि मे तीन देवास्तत्प? श्री सुरेन्द्रभूषणदेवास्तदाम्नाये लंवकंचुकान्वये को पक्ति का निम्न लेख हैसा० (साधु) परता पु०. प्रासापति पा० सुभा (शुभा) १. विक्रम संवत् २०१४ फाल्गुण शुक्ला पंचम्यां एसे नित्य प्रणमति श्री....... ... २. रविवासरे अहारक्षेत्रे श्री इन्द्रध्वज पंचकल्याणक (८) सिद्धचक्र यन्त्र ३. गजरथ प्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितम् । यह यन्त्र पीतल धातु के १०.३ इच वर्तुलाकार एक (१४) पूजा यन्त्रम् फलक पर उत्कीर्ण है । यत्र के नीचे यत्र-प्रतिष्ठाता श्रावक यह यन्त्र ताम्र धातु से निर्मित ८ इच के वर्तुलाकार श्रावक का हिन्दी भाषा और नागरी लिपि में नामोल्लेख ____एक फलक पर अकित है। दुलाई मे निम्न लेख सस्कृत भी किया गया है। यह यत्र सम्बत् विहीन है। भाषा भाषा और नागरी लिपि मे उत्कीणं हैप्रयोग से यह अर्वाचीन प्रतीत होता है। लेख इस प्रकार स० (सवत्) २०१४ फाल्गुण शुक्ला ५ रविवासरे अहारक्षेत्रे गजरथ पचकल्याणक प्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितम् । थो सिंघई वृन्दावन शिखर चन्द जो लार । (१५) विनायक यन्त्र (६) कल्याण वलोक्यसार यन्त्रम् इस यन्त्र का फलक ताम्र धातु में निर्मित है। यह __यह यात्र ६ इच के वर्तुलाकार एक ताम्र धातु से फलक ८ इच वर्तुलाकार है। नीचे लेख उत्कीर्ण है जिसमे निमित फलक पर उत्कीर्ण है। मन्त्री गुलाई मे सस्कृत लाला राजकुमार सुशीलकुमार बहरामघाट जिला बाराभाषा और नागरी लिपि मे निम्म लग भी अंकित है- बंकी द्वारा सवत् २०२५ में कार्तिक शु० (शुक्ला)८ विक्रम संवत् २०१४ फाल्गुण शुक्ला पचम्यां रवि- अष्टमी मंगलवार के दिन इम यन्त्र की प्रतिष्ठा कराये वासरे अहारक्षेत्र श्री इन्द्रध्वज-नकल्याणक गजरथ जाने का उल्ले। है। ज्ञात होता है यह यन्त्र प्रतिष्ठाकर्ता प्रतिष्ठायां प्रतिष्ठापितम् । ने इस क्षेत्र को भेंट में दिया था।
SR No.538044
Book TitleAnekant 1991 Book 44 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1991
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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