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________________ वीर सेवा मन्दिरका त्रैमासिक अनेकान्त (पत्र प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') वर्ष ४३ : कि०३ जुलाई-सितम्बर १६६० इस अंक मेंक्रम विषय १. सीख २. कन्नड़ के जैन साहित्यकार-श्री राजमल जैन ३. भट्टाकलककृत लघी स्त्रय : एक दार्शनिक अध्ययन -श्री हेमन्त कुमार जैन ४. नीति काब्य की अचचित कृति : मनमोदन पचशती डा० गगाराम गर्ग ५. भ० पार्श्वनाथ के उपमर्ग का सही रूप ---क्ष० श्री चितसागर जी महाराज ६. युवाचार्य के निबध पर अभिमत -श्री सुभाष जैन ७. सस्कृत के जन सन्देश काय-कु. कल्पना जैन ८. क्यों करते है लोग सस्थाओ को बदनाम? -श्री सुभाष जैन . राज्य संग्रहालय धुचे ना की सर्वतो दिका मूर्तियां -श्री नरेश कुमार पाठक १०. आत्मोपलब्धि का मार्ग : अपरिग्रह -श्री पद्मचन्द्र शास्त्री, सम्पादक ११. जरा सोचिए- सपादक १२. मूच्र्छा से मूच्छित को आत्मबोध कहाँ -श्री पद्मचन्द्र शास्त्री आवरण प्रकाशक: वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
SR No.538043
Book TitleAnekant 1990 Book 43 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1990
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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