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________________ ************** ********BXXXXXXXX********* अग्रिम चेतावनी : सावधान ! मै नेता नहीं, पर बिन्ती तो कर ही सकता हूं कि -"जिनका नायक नहीं होता वे नष्ट हो जाते हैं और जिनके कई नायक होते है वे भी नष्ट हो जाते है।" आज धर्म के विषय में जैन के अधिसंख्य श्रावक और मुनि इसो दशा से गुजर रहे है प्रायः चारी संघ निरकुश है, मनमानी कर रहे हैं और कथित नेतागण मौन है। भला, ये कैसा नेतृत्व ? जिसमें बाड़ हो खेत को खाये जा रहो हो ? हम समझे है कि यह सब एक सबल-नेतत्व के अभाव और निर्बल-बहुनेतृत्व के सद्भाव का हो परिणाम है। ऐसे नाजुक दौर में सब नेता पंथ-गत नेतृत्व को किनारे रख, मिल बैठे तथा सबल ओर निष्पक्ष एक धार्मिक नेतत्व का निश्चय करे तथा उस नेतृत्व में 'धर्म-मार्ग-रक्षा' को समस्या को सुलझाये-शिथिताचारियो में सुधार लाएँ। अन्यथा, वह दिन दूर नहीं जब दबी जुबान में कानाफूसी करने वाले खुलकर कहने को मजबूर होंगे कि ये और इनके गुरू तथा इनका धर्म सभी ढोंग है। और तब श्रावकों और दि० जैन मुनियो की चर्चा केवल प्राचीन-शास्त्रों तक ही सीमित रह जायगो। कहीं ऐसा न हो कि हम हाथ मलते ही रह जॉय? __ सुभाष जैन महासचिव, वीर सेवा मन्दिर ************* **** KkKK******kkkkkkkSAXXXXXxxx विद्वान लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र होते हैं। यह आवश्यक नहीं कि सम्पादक-मण्डल लेखक के विचारों से सहमत हो। पत्र में विज्ञापन एवं समाचार प्रायः नहीं लिए जाते । कागज प्राप्ति. -श्रीमती अंगुरी देवी जैन (धर्मपत्नी श्री शान्तिलाल जैन कागजी) नई दिल्ली- के सौजन्य से। आजीवन सदस्यता शुल्क : १०१.०० २० वार्षिक मूल्य : ६) १०, इस अंक का मूल्य : १ रुपया ५० पैसे
SR No.538042
Book TitleAnekant 1989 Book 42 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1989
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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