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________________ वर्ष ४२ : कि० ३ वीर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक अनेकान्त ( पत्र प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') इस अंक मेंविषय क्रम पृ० १. ऐसा मोही क्यो न ? १ २. कनककीर्ति नामके विभिन्न गुरु- डा० ज्योतिप्रसाद जैन २ ३. मिथ्यात्व ही मिध्यात्व के बंध का कारण -- श्री मुन्नालाल प्रभाकर ४. अज्ञात कायस्थ कवि जिनधर्मी प्यारे लाल सुषमा राहुल ५. दर्शन पाहुड. एक चिन्तन --- डॉ० कस्तूरचन्द 'सुमन' ६. दिगम्बर मुनि बाबूलाल जैन कलकत्ता वाले ७ क्या कभी मन धर्म रक्षा पर्व भी होगा ว श्री दिग्दर्शन वरण जैन ८. समन्वय मे अपने को न भूले —श्री विमल प्रसाद जैन ६. सल्लेखना और समाधिमरण -डॉ० दरबारी लाल कोठिया १०. शुद्धि पत्र - धवला ३ - पं० जवाहरलाल शास्त्री ११. मनमानी व्याख्याओं का रहस्य क्या है ? - पद्मचन्द्र शास्त्री १२. मुनि-रक्षा परम हिमा है - सपादक १३. अग्रिम चेतावनी - श्री सुभाष जैन १४. आगमो से चुने ज्ञानकण - श्री शान्तीलाल जैन कागजी आवरण जुलाई-सितम्बर १९८६ आवरण ३ ७ E १३ १५ १६ १७ २० २५ ३१ २ प्रकाशक : वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली - २
SR No.538042
Book TitleAnekant 1989 Book 42 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1989
Total Pages145
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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