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________________ पवला पु० ६ का शुद्धि पत्रक पृष्ठ ४२४ ४२४ ४२४ ४२४ ४२४ ४३२ अशुद्ध संघातनपरिशातन कृति के संघातनपरिशातन व परिशातन कृति के एगसमओ, उक्कस्सेण एगसमओ, उक्कस्सेण ओघं। वेउव्वियसघादणकदीए णाणाजीवं पडुच्च ओघं एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण और उत्कर्ष से और उत्कृष्ट से ओघ के समान है। वैक्रियिकशरीर की संघातनकृति का नाना जीवों की अपेक्षा अन्तर ओघ के समान है तथा एक जीव को अपेक्षा जघन्य से एक समय और उत्कर्ष से जहणणे जहण्णण तेजाकम्मइयसंघादणपरिसादणकदी तेजाकम्मइयसंघादणपरिसादणपरिसादणकदी ण ओघं। संघातनपरिशातन कृति के सघातन-परिशातन व परिशातनकृति के अपर्याप्त; सब अपर्याप्त, बादरवायुकायिक अपर्याप्त, सब काइयअपज्जत्त काइय-वाउकाइय-अपज्जत्त-परिसादणमेतेण । –मेत्तेण ।' सघातन और परिशातन कृति युक्त । संघातन कृतियुक्त सखेज्जगुणा । तेजा सखेज्ज गुणा। संघादण-परिसादणकदी सखे ज्जगुणा । तेजा संख्यातगुणे हैं। उनसे संख्यातगुणे है। उनसे उसी की सघातनपरि सघातनपरिशातन कृतियुक्त जीव संख्यातगुणे है। बादरवाउकाइय पज्जत्ताण बादरवाउकाइयाण तेसि पज्जत्ताणं च वायुकायिक पर्याप्त वायुकायिक और उन सबके पर्याप्त असखेज्जगुणा । ओरालिय असखेज्जगुणा । ओरालियपरिसादणकदी विसेसाहिया । वेउव्वियसघादणपरिसादण कदी असंखेज्जगुणा । पोरालियअसंख्यातगुणे हैं। उनसे असख्यातगुणे हैं। उनसे प्रौदारिकशरीर की परिशातन कृतियुक्त जीव विशेषाधिक हैं। उनसे वैक्रियिक शरीर की संघातन परिशातन ऋतियुक्त जीव असंख्यातगुणे है। उनसे विसमऊणं तिसमऊणं दो समय कम तीन समय कम ४३६ ४४१ ४४२ ४४२ ४१० ४१. चदुसमयाहिया उत्कर्ष से चार समय अधिक समयाहिया उत्कर्ष से समयाधिक एक पूर्व कोटी ४२७ एक पूर्व कोटी
SR No.538041
Book TitleAnekant 1988 Book 41 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1988
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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