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________________ ४०० अनेकान्त अत: बोद्ध जो दीपक के बुझने सरीबी आत्मशुता से दर्शन की माताओं एवं खण्डन की परम्परा को स्पष्ट मुक्ति मानते हैं, वह अम्भव है ।" किया गया है। किन्तु इस युग के कवियों ने अपनी रचनाओ में तत्कालीन अन्य दर्शनो पर भी लेखनी बतायी है। - सुखाडियाविवि० उदयपुर इस प्रकार १०वीं शताब्दी का समूचा जैन साहित्य इस तरह की दार्शनिक मान्यताओं एवं उसके खण्डन-मण्डन की सामग्री मे भरा पडा है। प्रस्तुत निबन्ध मे मात्र बौद्ध १. मिनि प्रश्न २ ईश्वरभिज्ञामिनी १२६ 3. चरित (चीनदि - सोलापुर सस्करण, २२८४१५३ सन्दर्भ-सूची ४ गायकुमारचरित (पदन्त ) - ६।५।२ ५. मस्तिक म्पू महाकाव्य (सोमदेवसूरि), दीपिकापं० सुन्दरलाल शास्त्री ५१११९०९६४ ६. चन्द्रप्रभवन्ति (वीरनन्दि ) - २२८४१५३ ७. जहररिङ (पुष्पदन्त ) - २१२६५ ८ शर्मा रामनाथ - भारतीयदर्शन के मूल तत्वपृ० १५१ ६ यशस्तिलक चम्प महाकाव्य ( सोमदेव ) - ५।११०११६२ १०. जसरपर (पुष्पदन्त) ३।२१।११६ ११. महापुराण ( पुष्पदन्त), सम्पादक - डा० वैद्य भा० ज्ञा० पीठ प्रकाशन २०१६।३५ १२. महापुराण - २०/२०१०-५ १३. खनि खनि अण्ण जीउ जइ जाउ, तो वहिरंग पिक आव अण्णे थवियउ अण्णण यागइ, सुवि वाइकाइ वक्खाणइ || - नायकुमारचरिउ, ६।५।१०-११ ४. क्षणिक पसानियज्ञनिक्षिप्तदूषणम्। कृतनाशदिकं तस्य सर्वमेव प्रसज्यते || चन्द्रप्रभवति ।०६।५४११ १५ वयस्तिलकचम्पूमहाकाव्यदीपक प० सुन्दरतात शास्त्री- ६।१२६।४०८ १६. जसहर चरिउ - ३।२६०५ १७. Stcherbatsky - Conception of Buddhist Nirvan – Page 9 5. magcafe-LIXIE - १६ ( क ) " अतस्तत्वं सद्सदुभयानुभयत्मिक चतुष्कोटि विनिर्मुक्त शून्यमेव" - सर्वदर्शन संग्रह (माध्वाचार्य) हिन्दी भाष्यकार - प्रो० उमाशकर शर्मा 'ऋषि', चौखम्भा विद्याभवन वाराणसी, पृ० ६३-६४ (ख) माध्यमिक कारिका (नागार्जुन), १.७ : २०. उपाय, बलदेव बौद्ध दर्शन मीमांसा १० २९८ २१. धर्म परीक्षा (अतिगनि) सोलापुर सस्करण १. १७४१२६६ - २२. सुष्णु असेसु वि जइ कहिउ तो कि तो पंचिदियदण्डणु । चीवरवणिवसणु वयधरण सतहडी मोयणु सिर मुण्डणु ॥ - ( णायकुमारचरित्र ६ । १-१३) महाकाव्यं ( सोमदेव ) दीपिका ६४११०१६ २३. यशस्तिलक चम्पू प० सुन्दरलाल शास्त्री २५. वही - ५१११२।१६३ २४. वही - ५११०६ १६२ २६. तिलक पप्पू महाकाव्यं (सोमदेव ) ६३४१९१ २ सयुक्त निकाय III २५१, २६१, २०१ " २८. समेत विकाय, Encyclopedia of Religion & Ethics I. २६. रजत सुत - ७, १३ ३०. धम्मपद - २०२, २०३ ३१ यशस्तिलकचम्पू महाकाव्य (सोमदेव ) ६१३, १४१८६८७ ३२. वही - अश्वास ६, पृ० १५४ २२. मध्वाचार्य) १०३५, ३६ ३४. यशस्तिलकचम्पूमहाकाव्यं ( सोमदेव ) - ६।२६।१८९ ३५. वही - ६।१०६ २०५ ३६. तिलक महाकाव्य (सोमदेव ) - ६०२१६२०७ सुखाडिया वि०वि० उदयपुर
SR No.538040
Book TitleAnekant 1987 Book 40 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1987
Total Pages149
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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