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________________ नेमि शीर्वक हिन्दी साहित्य विकास क्रम को जानने की दृष्टि से यह पुराण महत्त्व- का शास्त्र भंडार गुटका ५५ वेष्ठन २७२ । नेम ब्याह पञ्चीसो-कवि वेगराज । पूर्ण प्रति, बीसवीं शताब्दी के विवेच्य विषय से सम्बन्धित केवल दिगम्बर जैन मन्दिर वोरमली, कोटा काशास्त्र भंडार एक कति का परिचय मिला है वह है कवि बालचन्द्र जैन गुटका न० ३ वेष्ठन ३५२ । रचित 'राजुल' खण्ड काव्य । यह काव्य साहित्य साधना नेमिनाथ स्तवन-५० कुशलचन्द । इसकी प्रति समिति काशी से सन् १९४८ में प्रकाशित हआ था। कथा श्री महावीर जी के शास्त्र भडार मे गुटका नं० ५६ में है. में नवीनता यह है कि कवि ने विवाह सम्बन्ध निश्चित नेमिनाथ का ब्याहला-नाथ कवि । एक प्रति होने से पूर्व ही नेमि कुमार और राजल का साक्षत्कार बधीचन्द जी का मन्दिर जयपुर वेष्ठन ६७थ तथा एक द्वारिका की वाटिका में कराया है। वहां नेमिनाथ एक प्रति दिगम्बर जैन दीवान जी का मन्दिर, गटका नं०११ मतवाले गज से उग्रसेन-कन्या राजीमती की रक्षा करते वेष्ठन ३६ । हैं । इस प्रकार पूर्व राग से राजुल की विरह-व्यथा की राजुन नेम का बारह मामा-कांतिविजय रचित मर्मस्पर्शिता और भी बढ़ गई है। एक अश प्रस्तुत है... इस कति की प्रति श्री महावीर जी के शास्त्र भंडार मे किया समर्पित हृदय आज तन भी मैं गौ । सग्रहीत है। जीवन का सर्बस्व और धन उनको सौप ।। नेमि जी की लहर-4 इंगो। इसकी प्रति श्री रहें कही भी किन्तु सदा वे मेरे स्वामी। महावीर जी के भडार में 'नेमिनाथ फा' ना. से है तथा मैं उनका अनुकरण करूं बन पथ अनुमागी।। बधीचन्द जी के मन्दिर जयपुर मे 'नेमि जो की लहर' अनेक ऐसौ रचनाएं भी है जिनके रचनाकाल के शीपं से (वेष्ठन १२७८)। सम्बन्ध में अभी जानकारी नहीं प्राप्त हो सको उ का ने म राजन गीत-बुगरमी बैनाडा । प्रति बधीसंक्षिप्त उल्लेख अभीष्ट है। हा । उन कृतियों का, चन्द जी का मदिर, जयपुर वेष्ठन १२७६ । नमिश को विनती-चद कवि आमेर शास्त्रजिनकी संख्या भी कुछ नही, उल्लेख नहीं किया जा रहा जिनके रचनाकार और रचनाकाल क भी पता नहीं । भदार, श्री महावीर जी, गुटका २५। नेमिनाथ राराकवि ऋषि समन द कन पत्र नंग गोत-लब्धि विजय कन । ढोलियो का मदिर संख्या ३ । पूर्ण प्रति, पाटोदी का मन्दिर जनार, बेठन जापुर, गुटका न०६७ । नदिनाप मंगल-लालचद कवि । एक प्रति २१४० । नेमि स्तवन-ऋषि शिव , पत्र संख्या २ । पूर्ण दोलियो का मदिर, जयपुर गुटका १२४ एक प्रति पाटोदी प्रति पाटोदी का मन्दिर, जयपुर बेष्टन १०८ का मदिर, जयपुर गुटका न० ४१ तथा एक प्रति दिगम्बर नेमि स्तवन--जित मागर मणि । कुल पृष्ठ मख्या जैन अग्रवाल पचायती मदिर, अलवर, गुटका न०६ मे १। पूर्ण प्रति उक्त भण्डार वेष्ठा १२१५ । सग्रहो।। नेमि गीत-कवि पाम वन्द । उक्न भण्डार, वेऽटन बारहमासा र जुल -- कवि हरदैदास । शास्त्र१८४७ । भण्डार श्री महावीर जी गुट का न० ४६१ । नेमि राजमतो गीत-कवि हीरानन्द । उक्त ननि जी की मेरी ब्रह्म नाथु । पूर्ण प्रति, दि. भंडार, वेऽटन २१७४ । जैन पचायती मदिर, बयाना के शास्त्र भडार गुटका न. नमि राजमती गीत-छीतरमल । पत्र संख्या १। १, वेष्ठन १५० में सकालत है। उक्त शास्त्र भंडार वेष्ठन २१३५ । नोट--विद्वानो की आलोचनात्मक सम्मतियां राजुल सज्झाय-पं० जिनदास कृत ३७ पदो की आमन्त्रित है। ३, सदर बाजार रचना। दिगम्बर जैन मन्दिर विजयराम पाध्या, जयपुर लखनऊ-२२६००२।
SR No.538039
Book TitleAnekant 1986 Book 39 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1986
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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