SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०, वर्ष ३९, कि०४ अनेकान्त दवन्द्र सारदा पय प्रणमी करि नेमि तणा गुण हीय घरेवि। नेसिनाथ के वैराग्य ले लेने पर राजुल ने चारित्र चुनरी रास भणु रत्नीया गुण गरु वड गइ सु सुख संखेवि ॥ को किस प्रकार धारण किया इसका १६ पद्यों में मार्मिक पुण्य रतन कवि विरचित 'नेमिनाथ फागु' का भी वर्णन हुआ है। उल्लेख मिलता है जिसकी प्रति दिगम्बर जैन मन्दिर नेमोश्वर चन्द्रायण-इसके कृतिकार भट्रारक विजयराम पांड्या, जयपुर के शास्त्र भण्डार में गुटका नरेन्द्रकीति थे जो आमेर गादी के संस्थापक भट्टारक नं० १४ वेष्टन १०२ मे सकलित है। देवन्द्रकीर्ति के शिष्य थे। नेमीश्वर चन्द्रायण की रचना नेमिनाथ गीत--१६वी शताब्दी के प्रसपात कवि संवत् १६९० में की थी और इसकी प्रति श्री महावीर जी ब्रह्म० यशोधर ने 'नेमिनाथ गीत' नाम से तीन सर्जनाएं के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। की थीं। प्रथम 'नेमिनाथ गीत' की सरचना संवत् १५८१ नेमीश्वर रास-रासकार ब्रह्म रायमल्ल १७वीं में बांसवाडा नगर में की थी। इस गीत मे २८ अन्तरे शताब्दी के प्रतिनिधि कवियों में हैं । नेमीश्वर रास की हैं पर इसकी कोई पूर्ण प्रति अभी उपलब्ध नही हो सकी रचना इन्होंने सवत् १६१५ के लगभग की थी। कृति मे है। दूसरा गीत राग सोरठा मे निबद्ध है तथा गीत में कुल १४५ कड़क छन्द हैं जिनमें नेमिनाथ के गर्भ से कुल पांच छन्द ई। तीसरा नेमिनाथ गीत अपेक्षाकृत बड़ी निर्वाण तक की घटनाएं वर्णित हैं । बधीचन्द जी के मदिर, रचना है। इसमे कुल ७१ छन्द है जो राग गौड़ी में बद्ध जयपुर से लेखिका को प्राप्त प्रति के अन्त मे लिखा हैहैं । गीत की भाषा राजस्थानी है तथा इसका मूल पाठ अहो सोलह से पंद्रारह रच्यो, 'आचार्य सोमकीर्ति एव ब्रह्म यशोधर' संस्थापक डा. रास सांवलि तेरसि सावण मास । कस्तूरचन्द कासलीवाल कत में प्रकाशित हो गया है। ___वार तो बुधवार भलो अहो, काव्य का टेक निम्न प्रकार है __ जैसी जी मति दीने अवकास । सामला ब्रण वीनवी राजिल नारि पंडित कोई जी मति हसो, पूरव भव नेह संभारि तैसी जी बुधि कीयो परगास ॥ दयाल राय वीनवी राजिल नारि ।। नेमीश्वर रास के अतिरिक्त ब्रह्म, रायमल्ल 'नेमि नेमिनाथ स्तवन-भट्रारक शुभचन्द्र (प्रथम) जो निर्वाण काव्य भी लिखा था यह एक अतान्त लघु कृति है १६वी शताब्दी के मूर्धन्य भट्रारक रहे तथा जिन्होंने जिसमे तीर्थकर नेमि की भक्तिपूर्वक वन्दना की है इसकी 'पांडव पुराण जैसा महत्त्वपूर्ण ग्रथ लिखा उन्होने ही हिंदी प्रति भट्टारक दिगम्बर जैन मन्दिर, अजमेर के भण्डार भाषा में नेमिनाथ स्तवन की रचना की थी। स्तवन में मे है। कूल २५ छन्द है और इस कृति को 'नेमिनाथ छन्द भी नेमि गोत-इस गीत की रचना बाई अजीतमती ने कहते हैं । कृति का उल्लेख 'जिन रत्नकोश: मे हुआ है। की थी। ये भट्टारक वादिचन्द्र की प्रमुख शिष्या थी। वस्तुत. नेमिनाथ के जीवन पर सर्वाधिक रचनाएँ इन्होने कई स्फुट पदो और गीतो की रचना को 'नेमिगीत' सत्रहवी शताब्दी में लिखी गयी जैसा कि आगामी पृष्ठों से राग बसन्त मे निबद्ध है और कुल छन्द सख्या छ: है। स्वतः स्पष्ट हो जाएगा। गीत का प्रथम छन्द प्रस्तुत हैनेमोश्वर गीत–प्रस्तुत गीत के रचयिता जयसागर श्री सरस्वती देवी नमीय पाय, भट्टारक रत्नकीर्ति के प्रमुख शिष्यो में से थे परन्तु इनके गाए सुं गुण श्री नेमि जिन राय । जीवन के सम्बन्ध में अधिक जानकारी नही मिलती। जेह नामि सौस अनत थाय, 'नेमीश्वर गीत' की भी कोई प्रति उपलब्ध नहीं तदपि भूरि पातिग भर दुरे पलाय ॥१॥ इनके द्वारा रचित 'चुनडी गीत' प्रकाशित हो गया है। नेमि जी को मंगल-इसके रचयिता श्री विश्वजिसे 'चारित्र चुनड़ी' भी कहते हैं। इस रूपक गीत में बलात्कार गण की अटेर शाखा के ख्याति प्राप्त भट्टारक
SR No.538039
Book TitleAnekant 1986 Book 39 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1986
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy