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________________ पौर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक अनेकान्त (पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') वर्ष ३६कि .३-४ (युग्मांक ) बुखाई-दिसम्बर १९८५ - - इस अंक में विषय १.भव दुःख वैगि हरो २. जाति और धर्म : डा. ज्योति प्रसाद जैन ३. एक दिन तुमसे मिलूंगी : डा० सविता जैन ४. १६३ बनाम १३६ : श्री बाबूलाल 'वक्ता' ५. अपनश साहित्य की एक अप्रकाशित कृति : पुण्यासव कहा -डा. राजाराम जैन आरा ६. धर्मसार सतसई : श्री कुन्दनलाल जैन ७. धर्म का मलाधार आस्था या अंधास्था: -डा. प्रद्युम्न कुमार जैन ५.हिन्दी जैन काव्य के अज्ञात कवि : डा. गंगाराम २३ ६. अनुकूलता प्रतिकूलता : हरिकृष्यादास 'हरि २५ १०. णायकुमार चरिस को सूक्ति : डा. कस्तूरचंद २६ ११. जैन दर्शन में ईश्वर की अवधारणा: -कु० मीनाक्षी शर्मा १२. श्रमण संस्कृति : श्री सुरेन्द्रपाल सिंह १३. प्रमावती रानी को कथा १४. जनत्व का मूल आधार : अपरिग्रह : -सम्पादक 'बीरवाणी' १५. विन्ध्यश्री कन्या की कथा १५. जरा सोचिए-सम्पादकीय प्रकाशक वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
SR No.538038
Book TitleAnekant 1985 Book 38 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1985
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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