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________________ Regd. with the Registrar of Newspaper at R. No. 10391/61 न वीर-सेवा-मन्दिर के उपयोगी प्रकाशन समीचीन धर्मशास्त्र : स्वामी समन्तभद्र का गृहस्थाचार-विषयक प्रत्युत्तम प्राचीन ग्रन्थ, मुख्तार श्रीजुगलकिशोर जी के विवेचनात्मक हिन्दी भाष्य और गवेषणात्मक प्रस्तावना से युक्त, सजिल्द / रमन्य-प्रशस्ति संग्रह, भाग 1: संस्कृत और प्राकृत के 171 अप्रकाशित ग्रन्थों की प्रशस्तियों का मंगलाचरण सहित अपूर्व संग्रह, उपयोगी 11 परिशिष्टों पोर पं० परमानन्द शास्त्रो की इतिहास-विषयक साहित्य परिचयात्मक प्रस्तावना से अलंकृत, सजिल्द / ... बैनन्ध-प्रशस्ति संग्रह, भाग 2 : अपभ्रंश के 122 अप्रकाशित ग्रन्थों को प्रशस्तियों का महत्वपूर्ण संग्रह। पचपन ग्रन्थकारों के ऐतिहासिक ग्रंथ-परिचय और परिशिष्टों सहित / स.पं. परमानन्द शास्त्री। सजिल्द। 1 समाभितन्त्र और इष्टोपदेश : प्रध्यात्मकृति, पं० परमानन्द शास्त्री को हिन्दी टीका सहित प्रवणबेलगोल और दक्षिण के अन्य जैन तीर्थ : श्री राजकृष्ण जैन ग्याय-दीपिका : मा० अभिनन पर्मभूषण की कृति का प्रो० डा. दरबारीलालजी न्यायाचार्य द्वारा स० अनु०। 1 जैन साहित्य और इतिहास पर विशव प्रकाश : पृष्ठ संख्या 74, सजिल्द / कसायपाहडसुत्त : मूल ग्रन्थ की रचना प्राज से दो हजार वर्ष पूर्व श्री गुणधराचार्य ने की, जिस पर थी यतिवषभाचार्य ने पन्द्रह सौ वर्ष पूर्व छह हजार श्लोक प्रमाण चूणिसूत्र लिखे / सम्पादक पं हीरालालजी सिद्धान्त-शास्त्री। उपयोगी परिशिष्टों पर हिन्दी अनुवाद के साथ बड़े साइज के 1000 से भी अधिक पृष्ठों में। पृष्ट कागज गौर कपडे की पक्की जिल्द / चन निबन्ध-रत्नावनी : श्री मिलापचन्द्र तथा श्री रतनलाल कटारिया ज्यानशतक (ध्यानस्तव सहित) : मंपादक पं. बालचन्द्र सिद्धान्त-शास्त्री भावक धर्म संहिता : श्री दरयावसिंह सोषिया न लाणावली (तीन भागों में) : मं.पं.बालचन्द सिद्धान्त शास्त्री प्रत्येक भाग . जिन शासन के कुछ विचारगीय प्रसंग : श्री पचन्द्र शास्सी, बहुचर्चित सात विषयों पर शास्त्रीय प्रमाणयुक्त तर्कपूर्ण विवेचन / प्राक्कथन : सिद्धान्ताचार्य श्री कैलाशचन्द्र शास्त्री द्वारा लिखित / मूल जैन संस्कृति अपरिग्रह : श्री पद्म वन्द्र शास्त्री Jaina Bibliography : Shri Chhotelal Jain, (An universal Encyclopaedia of JainReferences.) In two Vol. (P. 1942) Per set 600 r आजीवन सदस्यता शुल्क : 101.0010 वार्षिक मूल्य: ६)ब०, इस अंक का मूल्य 1 रुपया 50 पैसे - - - - विद्वान् लेखक अपने विचारों के लिए स्वतन्त्र होते हैं। यह आवश्यक नहीं कि सम्यादक-मण्डल लेखक के विचारों से सहमत हो। पत्र में विज्ञापन एवं समाचार प्रायः नहीं लिए जाते। - - - - सम्पादक परामर्श मण्डल ज्योतिप्रसाद जैन, श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन, सम्पावक श्री पाच्य शास प्रमाणक-बाबूलाल जैन वक्ता, वीर सेवा मन्दिर के लिए, गीता प्रिंटिंग एजेन्सी, डी०-१०५, न्यूसीलमपुर इल्ली के मुदित /
SR No.538038
Book TitleAnekant 1985 Book 38 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1985
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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