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________________ छपते-छपते : 'अनेकान्त' का अन्तया मिश्रित मौन-नाद अन्तर्व्यथा 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले । वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा ।' यह एक बड़ा हादसा था जो दि० ३१-१०-८४ को भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के साथ घटित हुआ । हत्यारों ने क्षण भर में उनका खून कर दिया और पूरा राष्ट्र दिलो मे उनकी यादें बसाए हुए आँसू बहाता रह गया तथा समस्त विश्व विचार में पड़ गया। इसे विधि की बिडम्बना ही कहा जायगा कि जिसने कभी प्रथमगाधी राष्ट्रपिता बापू को और अब द्वितीय गांधी प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा जी को एक ही रीति से कराल काल के सुपुर्द कराया। हम यह भी कहेंगे कि विधि ने इस बार क्रूरता में काफी बडवारी बरनी बापू पर तीन गोलियाँ, तो इन्दिरा जी पर सोलह और शायद इससे भी अधिक गोलियाँ चलवाईं। तब ४० करोड़ जनता ने ही आंसू बहाए और अब सत्तर आंसू पोछने वाला कोई नहीं दिखा। करोड जनता के ---- विशेष-पत्रक अब तो यह ढूढ श्रीमती इन्दिरा गांधी ने देश हित में क्या किया यह बताने की जरूरत नही निकालना भी कठिन है कि देश का ऐसा कौन-सा हित या जो उन्होंने नहीं किया ? वे सभी क्षेत्रो में सभी दृष्टिकोणों से भारत की उन्नति मे सदा अग्रसर रहकर मार्ग-दर्शक रही और विश्व को भी शान्ति की स्थापना के लिए प्रेरित करती रही। वे पिछड़ों को बढाने वालों और उठे हुओ को स्थायित्व प्रदान करने वाली प्रथम भारत रत्न महिला थीं। जैन-उत्सव, चाहे वह २५०० वर्षीय निर्वाणोत्सव हो, चाहे महामस्तकाभिषेक या ज्ञानज्योति प्रसार, सभी मे श्रीमती इन्दिरा जी का योग रहा- वे धर्ममात्र मे आस्थावान् थी । उनके स्थान की पूर्ति सर्वथा असम्भव है। उनके उपकारो के प्रति भारत और विश्व के अनेको देश सदा कृतश रहेंगे। जो लोग भारत को खण्ड-खण्ड रूप में और पिछड़ा देखने के स्वप्न सजोने मे लगे है, उन्हें हम बता दें कि - भारत-भूमि मे बड़ी क्षमता है। गांधीद्वय ने भारतवासियो की पवित्र भूमि को अपने रक्त का कतरा-कतरा समर्पित किया है, जिससे सभी भारतीयों को बल मिला है अतः वे इससे भी कई गुनी क्षतियो और अपार कष्टों को सहकर भी अपनी आजादी और अखण्डता को बरकरार रखेंगे और इस देश की प्रभु-मत्ता को सुरक्षित रखने वाले ऐसे गाधी सदा ही विद्यमान रहते रहेगे, जो गलत स्वप्नो को कभी भी पूरा न होने देगे। उक्त परिप्रेकप में हमें देखना चाहिए कि क्या हम धोये उपक्रमों से वैसी अमरता पा सकेंगे जैमी बेजोड़ और अमूल्य अमरता श्रीमती इन्दिरा जी ने कर्तव्यनिष्ठ रहकर पाई ? लोगों की दृष्टि में... "जब तक सूरज चांद इन्दिरा तेरा नाम रहेगा। रहेगा || ' दि० ११-११-२४
SR No.538037
Book TitleAnekant 1984 Book 37 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1984
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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