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________________ वर्ष ३७ : कि० २ वोर सेवा मन्दिर का त्रैमासिक अनेकान्त ( पत्र-प्रवर्तक : प्राचार्य जुगल किशोर मुख्तार 'युगवीर') क्रम इस अंक में विषय १. अध्यात्मपद २. धन्यकुमार चरित में तीर्थ वन्दना - डा० ज्योतिप्रसाद जैन, लखनऊ ३. बारस अणुवेक्खा श्री कुन्दनलाल जैन, प्रिन्सिपल, दिल्ली ४ दुख का बीज - श्री बाबूलाल जैन वक्ता ५. अद्वैत दृष्टि घोर अनेकान्त -श्री अशोककुमार जैन, बिजनौर ६. जैन कला और स्थापत्य में भ० शान्तिनाथ कु० मृदुलकुमारी, शोधछात्रा ७. विषमिश्रित लड्डू -श्री पद्मचन्द्र शास्त्री ८. अनुसर-योगी में कुछ विसंगतियां १. ताकि सनद रहे और काम आए १०. दिगम्बर परम्परा में ११. कारवां लुटता रहा हम देखते बड़े रहे १२. संस्मरणों के आधार पर १३. वर्धमान भक्तामर पृ० १ १४. साहित्य-समीक्षा २ ४ ७ ८ ११ १७ २० २१ २६ २४ २५ श्री मूलचन्द्र जैन शास्त्री श्री महावीर जी २६ ३२ ल-जून १८४ प्रकाशक वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२
SR No.538037
Book TitleAnekant 1984 Book 37 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1984
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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