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________________ भागलपुर की प्राचीन जैन प्रतिमाएं बसाल्ट पत्थर मे उत्कीर्ण है तथा इसका माप ६१४३०.५ सेंटीमीटर है। भगवान शांतिनाथ पद्मासन मुद्रा में पूर्ण पुष्पित कमल पर आसीन हैं। कमलासन दो सिंहों के पीठ पर स्थिर है। जिसके मध्य में एक धर्मचक्र अकित है । धर्मचक्र के ठीक नीचे भगवान शांतिनाथ का लांछन मृग अतिसुन्दरता पूर्वक बनाया गया है। मृग के दोनों ओर दो उपासक दर्शाये गये हैं । भगवान शातिनाथ के ऊपर त्रिछत्र तथा उसके दोनों ओर मालाधारी विद्याधरों का अंकन बडा सजीब है। भगवान के मस्तक के पीछे चित्रित प्रभामण्डल प्रभावशाली है । इस प्रतिमा को अत्यन्त महत्वपूर्ण बनाता है ज्योतिष्क देवों का (जिन के दोनों ओर) चित्रण । ज्योतिष्क देव हिन्दू प्रतिमा विज्ञान के नवग्रह हैं। इस प्रतिमा में सिर्फ आठ ज्योतिष देवों-सूर्य, सोम, मगल, बुद्ध, बृहस्पति, शुक्र, शनि एव राहु को दर्शाया गया है । बिहार प्रात में अब तक ज्ञात जैन प्रतिमाओ मे यह प्रतिमा अद्वितीय है । उपर्युक्त सभी प्रस्तर प्रतिमाये भागलपुर के श्री संदर्भ-संकेत १. राय चौधरी, पी० सी० - बिहार डिस्ट्रीक्ट गजेटियर - भागलपुर : ( पटना-- १६६२) पू० ५६६ ( कलकत्ता - १९१४) पृ० ७३ ८. प्रतिष्ठासार संग्रह - ३.३-४ १७ चम्पापुर दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र मंदिर, नाथ नगर में सकलित है। ये प्रतिमाएं सन् १९१४५ ई० में चम्पानगर के एक सुखे तालाब (सम्भवतः रानी भग्गर छठी सदी ई० पू० द्वारा खुदवाए गए तालाब) से प्राप्त हुई थी तथा १९३४ ई० के भयानक भूकम्प में जब इनके लिए बना मंदिर ध्वस्त हो गया तब नाथनगर के प्रमुख दिगम्बर जैनियों के प्रयास से उपर्युक्त मंदिर मे संकलित किया गया ।" इसके लेखक ने उपर्युक्त मंदिर के सचिव श्री रतन लाल जैन बिनायक्या, जिनके सप्रयास से भागलपुर की जैन संस्कृति का दिन दूना रात चौगुना विकास हो रहा है के सहयोग र अनुमति से इसे विद्वानों तथा श्रद्धालु भक्तो के समक्ष रखने का प्रयास किया है। भागलपुर में जैन धर्म जो छठी सदी ई० पू० में ही अपनी जड़ डाल चुका था अभी भी विकसित अवस्था में है । - बिहार शिक्षा सेवा हटिया रोड, मोहल्ला : तिलका माझी, भागलपुर ( बिहार ) ६. अपराजित पृच्छा - १७६.१४ १०. चटर्जी, ए० के० - कम्प्रीहेन्सिभ हिस्ट्री ऑफ जैनिज्म, ( कलकत्ता - १६८, पृ० ७८ ११. औपपातिक उपाग पृ० १० १२. यह प्रतिमा उत्तर गुप्त कालीन है। । १३. विवेक विलास - १.१२८-३० १४. शर्मा, बी० एन० – जैन प्रतिमायें, (नई दिल्ली१६७९), पृ० ५२ १५. उपरिवत् पृ० ३० २. समवायाग- पृ० ६७ ३. भगवती सूत्र -- पृ० २२३= .४ लाहा वी० सी० - महावीर : हिज लाइफ एण्ड टिचीग्रस ( लंदन - १९२७), पृ० ३२-३३ ५. मिश्र, यु० कि० – सोसियो — इकानामिक एण्ड पोलिटीकल हिस्ट्री ऑफ इस्टर्न, (दिल्ली - १९७७ ) पृ० ४ ६. बील० एस० – बुद्धिष्ट रिकॉडस ऑफ दी बेस्टर्न १६. भट्टाचार्य, बी० सी० - दी जैन आइकनोग्राफी, (नई वर्ल्ड, खण्ड १, पृ० १६१-६२ दिल्ली - १९७८, नवीन संस्करण) पृ० ११६ ७. लाहा बी० सी० समन जैन कैनोनिकल सूत्राज, १७. पाटिल, डी० आर०—दी एण्टिक्यूरियन रिमेन्स इन बिहार, ( पटना - १९६३) पृ० १७८ १८. उपरिवत्
SR No.538036
Book TitleAnekant 1983 Book 36 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmachandra Shastri
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1983
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size8 MB
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