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बुन्देललगका जन इतिहास
महापुरुष ऐसा है जिसके जीवन का वृत्तान्त बहुत ही कम तारणपंथी प्रल्प संख्या में रहे और पाज भी हैं। जैन जत है। तारण पंथ के सगठन कार्य को हाथ में लेने गहस्थ, अपने मट्टारक गुरुषों के अनुसरण में, मूर्ति निर्माण वाला कोई योग्य विद्वान भी तारण समाज ने पंदा नहीं तथा स्थापना में एक-दूसरे के साथ प्रतियोगिता करते किया। प्राज भी तारण वाणी पर जो कुछ कार्य हुप्रा है रहे। ऐमे श्रावकों में, जिवराज पापडीवाल ने मूर्ति अथवा हो रहा है उसके लिए समाज ऐसे विद्वानों का निर्माण में विशेष ख्याति प्राप्त की है। अकेले ही उसने ऋणी है जो या तो मजैन हैं या तारणपथी भी नहीं हैं। एक लाख जन प्रतिमाएं गढ़वा कर समस्त उत्तरी भारत
के जैन मन्दिरो में भेज दी और शायद ही कोई जैन उपरोक्त वर्णन का यह प्रथं नही है कि बुन्देलखण्ड मन्दिर ऐसा हो जहाँ जिवराज पापड़ीवाल लेखांकित में जैन समाज के भीतर प्रतिमा पूजा का, तारणपंथी विक्रम सम्बत १५४८=१४६१ ईस्वी को कोई न कोई पाग्दोलन द्वारा अंत कर दिया गया। कदापि नहीं। मूर्ति न पाई जाती हो।
सीतामऊ फोटोस्टाट) : श्री लोंकासाह (गुजराती)
(रत्न मुनि स्मृति प्रथ) : लुका के बोल (स्वाध्याय,
वड़ोदरा II, १) : हिन्दी अनुवाद के लिए देखिये सम्यग्दर्शन, सैलाना (म०प्र०)
संदर्भ ग्रंथ सूचो हीरालाल-दमोह दीपक खान बहादुर इमदाद अली : गजेटियर पाव दमोह डि.
दलसुख मालवणिया : दमोह डि० गजे०(१९०५)
: दमोह डि० गजे० (१९७४) हरिहरनिवास द्विवेदी : ग्वालियर रा० के अभिलेख हरिहरनिवास द्विवेदी : ग्वालियर के तोमर
: ग्वालियर स्टेट गजेटियर : गाइड टु चन्देरी : एपिग्राफिया इण्डिका
उपेन्द्रनाथ दे : ई० प्राय० (पशियन ऐन्ड
अरेबिक सप०) : इन्डियन एपिग्राफी (वार्षिक
रिपोर्टस) : ग्वालियर राज्य के पुरातत्व
पर वार्षिक रिपोर्टस राय ब.हीरालाल : सी.पी तथा बरार के शिला- फुलचन्द्र जैन शास्त्री
लेखों की विवरणात्मक सूची परमानन्द जैन शास्त्री बन पुस्तक प्रशस्ति संग्रह : अनेकान्त त्रैमासिक, दिल्ली
नाथूराम प्रेमी शिक्षाब हकीम : ममासिर-ए महमूद शाही
: मेडीवल मालवा : उर्दू (पत्रिका) पाकिस्तान : इन्डियन हिस्टारिकल
क्वार्टरली (मासिक) : जैन ऐन्टीक्वेरी, मारा : जनरल मध्यप्रदेश इतिहास परिषद
: ज्ञान समुच्चय सार को भूमिका एवं भुल्लक चिदानन्द स्मृति ग्रंथ मोर अन्य लेख
:जैन हितैषी (पत्रिका) रीवा (म.प्र.)
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