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जरा सोचिए
ने सम्यग्दर्शन को प्रथम रखा है। भाव ऐता है कि मोदा- उद्विग्न अवस्था में इसके शरीर से वह तरल पदार्थ मार्ग में प्रयोजन भूत जीव-प्रजीव-प्रास्रव बंध-सवर-निर्जरा निकलने लगता है जिसमें से सुगन्ध निचोड़ा जाता है और पौर मोक्ष इन सात तत्वों को संशय, विपर्यय और उसकी ग्रन्यी को चाक से खरोचा जाता है। मनध्यवसाय रहित याथातथ्य - जैसे का तसा जानना
सौन्दर्य प्रसाधन
है सम्यक ज्ञान है। पंडित प्रवर टोडरमल जी ने इस विषय
"स्वन्डर लोरिस" नामक छोटा सा बन्दर जो भारत को इस भांति स्पष्ट किया है-'बहरि यहां ससार' मोक्ष
में अब बहुन कम सख्या में रह गया है क्योंकि इसका के कारणभूत सांचा भला जानने का निर्धारण करना है,
शिकार प्रत्यधिक किया जा चुका है। इसको मांखें बाहर सो जेवरी-सादिक का यथार्थ वा अन्यथा ज्ञान समार,
निकाल ली जाती है। इसका दिल बाहर निकाल लिया मोक्ष का कारण नाही तात तिनको अपेक्षा इहाँ मिथ्याज्ञान-सम्यग्ज्ञान न कह्या। इहाँ प्रयोजनभूत
बाता है। इन दोनो को पीस कर सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री
बनाई जाती है। जीवादिक तत्त्वनि हो का जानने की अपेक्षा मिथ्याज्ञान, सम्यग्ज्ञान कह्या है।' धूप मे चमकती हुई सीप को देख कोट कपड़े आदिकर ऐमा विकल्प करना कि यह सीप है या चांदी-संशय चूहे जसा ही जानवर होता है बीवर'। इसके शरीर पहलाता है। चमकती ई सीप को चांदी हप जानने का से निकला तेल सौन्दर्य प्रसाधन सामग्रंः बनाने में काम नाम विपर्यय-उल्टा ज्ञान है : प्रौर मार्ग में चलते हुए पाता है। इसकी साल के कोट बनते है। छोटा-सा यह यदि पैर में कोई तिनका चभ जाय तो उसमे विकल्प उठा जानवर रुमाल बराबर है। करीब ६० ऐसे जानवरों की कर कि ये क्या है, उसी क्षण (बिना निर्धारण के) उपेक्षा साल । एक व्यक्ति का कोट बनता है। भाव लाबर भागे बढ़ जाना-कि कुछ होगा, यह सीलनयमाय है। सम्यग्ज्ञान में ये तीनो भी नहीं होते। सील मछली के बच्चो के साग भी करता कुछ कम और सम्यग्ज्ञान के लक्ष्य, प्रयोजनमत जीवादि तत्त्व नही होती है। व नाडा में सवाल खनने के बल्ले से होते है।
डण्डे से इस मछली के बच्चो की लगातार सब तक (४) प्राप इतने कर तो न थे ?
पिटाई की जाती है जब तक वे सर न जाएं। नारवे में (भगवान महावीर का हिसामयी घर्म पालन करने के तोहे की तीखी मलाख मील के बच्चो के सिरसा लिए हमे अपने दैनिक जीवन मे पर्याप्त परिवर्तन लाना दी जाती है और उसकी खाल तुम्न उतारने के लिए से होगा-हिंसाजन्य सौन्दर्य प्रसाधन सामग्रियो का सर्वथा भीर दिया जाता है। वेवारी माने शिक्षको परित्याग करना होगा। विविध सौन्दर्य प्रसाधन मिस मन्ती रहती है । जब शिकारी चले जाते हैं तो वह अपने भांति और किन जीवों की बलि देकर निर्मित किए जाते शिशु के अस्थिपजर के समीप पाकर अपने मह से उस हैं, इसकी सक्षिप्त भ.लक 'इनको जिन्दगी प्रापका फैशन' लहूलुहान के िण्ड को सूची है। वहां गया उसका से बन कर यहां दी जा रही है-प्राशा है महावीर के शिशु? वह तो सदा के लिए विलुप्त होगया। खाल अनुयायी इससे लाभान्दित होगे ) -संपादक किसी रईस का कोट बन गई। १. बिज्जू का सैण्ट
मिन्कबिज्ज नामक जानबर बिल्ली से बहुत छोटा होता मिक नामक जानवर पानी में रहता है और इसके है। बहुत कम लोगो ने इसे जंगल मे देखा होगा। बाहर भी । इसका कसूर सिर्फ इतना है कि मुलायम बाल चिड़ियाघरों में भले ही देखा हो। इस छोटे से जानवर वाली इसको खाल प्रत्यात मोहक एवं लुभावनी होती है। को बेतों से पीटा जाता है ताकि यह उद्वेलित हो जाय। मतः भिक पर कहर ढाया जा रहा है। रईस लोगो के