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________________ प्रोम् महंस परमागमस्य बीज निषिद्धनात्यग्प सिन्धरविधानम् । सकलनयविलसितानां विरोधमपनं नमाम्यनेकान्तम् ।। वीर-सेवा-मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ वीर- निर्वाण संवत २५०६, वि० सं० २०३६ वर्ष ३३ किरण १ जनवरी-मार्च १९८० केवलज्ञान का स्वरूप गाथा-केवलणाणं साई अपज्जवसियं ति दाइयं सुत्ते । तेत्तियमितोत्तूणा केइ विसेसं ण इच्छंति ॥३४॥ छाया-केवलज्ञानं साद्यपर्यवसितमिति शितं सत्र। तावन्मात्रेण दप्ता: केचन विशेषं न इच्छति ॥३४॥ गाथा-जे संघयणाईया भवत्यकेलि बिसेसपज्जाया। ते सिज्झमाणसमये ण होति विगय तम्रो होइ॥३५॥ छाया-ये संहननादयः भवस्थकेवलोविशेषपर्यायाः । ते सिद्धमानसमये न भवन्ति विगतं ततो भवति ॥३५॥ एक बार होने पर केवलज्ञान सतत केवलज्ञान उत्पन्न होता है, यह एकान्त मान्यता भेद-दष्टि को लेकर है। नवर्शन में गुण पौर गुणी में न सर्वथा भेद है और न सर्वथा अभेद । किन्तु इन दोनों में कथंचित् भेदाभेद या है। केवलज्ञान और केवलदर्शन प्रात्मा के निज गुण है, प्रात्मस्वरूप है। द्रव्यदष्टि से ये दोनों पनादि अनन्त हैं। परन्तु अनादि काल से प्रात्मा कमों से मलिन हो रही है, इसलिए इसके निज गुण भी मलिन हैं, परन्तु जब पात्मा से केवलज्ञानावरण तथा दर्शनावरण कर्मों का विलय हो जाता है, तब प्रात्मा में केवलदर्शन और केवलज्ञान का प्रकाश हो जाता है । इस दृष्टि से केवलज्ञान उत्पन्न होता है और फिर सतत बना रहता है। एक बार केवलज्ञान के हो जाने पर यह त्रिकाल में भी अपने प्रतिपक्षी कर्म से पाक्रान्त नहीं होता। इस दष्टि में यह प्रपर्यवसित है। किन्तु यह एकान्त नहीं है। किसी अपेक्षा से इसे पर्यवसित भी कहा गया है । शाश्वत होने पर भी किसी अपेक्षा से नश्वर जो तेरहवे गुणस्थानवर्ती भवस्यकेवली वज्रवषभनाराचसंहनन, केवलदर्शन, केवलज्ञान प्रादि से सम्पन्न हैं, जिनके प्रात्मप्रदेशो का एकक्षेत्रावगाह रूप सम्बन्ध है तथा प्रघातिया कर्मों का नाश कर जो सिद्ध पर्याय को प्राप्त करने वाले हैं, उनके शरीरादि प्रात्मप्रदेशों का एवं केवलज्ञान-दर्शनादि का सम्बन्ध छट जाता है पौर सिद्ध अवस्था रूप नवीन सम्बन्ध होता है, इसलिए उन्हें पर्यवसित कहा जाता है।
SR No.538033
Book TitleAnekant 1980 Book 33 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1980
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size14 MB
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