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________________ भोम् प्रहम् Bকান . परमागमस्य बीजं निषिखजात्यन्ध सिन्पुरविधानम् । सकलनयविलसितानां विरोधमयनं नमाम्यनेकान्तम् ॥ वीर-सेवा-मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ वीर-निर्वाण संवत् २५०५, वि० सं० २०३५ वर्ष ३१ किरण ३-४ जुलाई-दिसम्बर १६७८ श्री वर्द्धमान स्तवन श्रियं त्रिलोकीतिलकायमानामात्यन्तिकी ज्ञातसमस्ततत्वाम् । उपागतं सन्मतिमुज्ज्वलोक्ति वन्दे जिनेन्द्रं हतमोहमन्द्रम् ॥ श्रीवीर यथथ वचोरुचिरं न ते स्याद् भव्यात्मनां खलु कुतो भुवितत्त्वबोधः । तेजो बिना दिनकरस्य विभातकाले पमा विकासमपयान्ति किमात्मनैव ।। प्रस्नेहसंयतवशो जगदेकवीयश्चिन्तामणिः कठिनतारहितान्तरात्मा। अध्यालवृत्तिसहितो हरिचन्दनागस्तेजोनिधिस्त्वमसि नाथ निराकृतोष्मा । -वर्धमानचरिते असगः श्री वर्धमान-वचसा पर-मा-करण, रत्नत्रयोत्तम-निधेः परमाऽऽकरेण । कुर्वन्ति यानि मुनयोऽजनता हि तानि, वृत्तानि सन्तु सततं जनता हितानि ।। -सिद्धप्रियस्तोत्रे देवनंदिः जो तीनों लोकों में श्रेष्ठ, अविनाशी सर्वज्ञत्वलक्ष्मी को प्राप्त थे, जिनके वचन निर्दोष (पूर्वापर विरोष रहित) थे, और जिन्होंने मोहरूपी तन्द्रा को नष्ट कर दिया था, उन सन्मति जिनेन्द्र महावीर की मैं वन्दना करता हूँ। हे वीर जिनेन्द्र ! यदि प्रापके मनोहारी वचन न होते तो निश्चय से इस भूतल पर भव्य जीवों को तत्त्व-बोध कैसे होता? प्रभातकाल में सूर्य के तेज के बिना क्या कमल प्राप से प्राप विक सित हो जाते हैं ? हे नाथ ! पाप जगत के ऐसे द्वितीय दीपक हैं कि जिसकी दशा (बाती) स्नेह (तेल) रहित है (अर्थात् प्राप वीतराग दशा में स्थित हैं), प्राप चिन्तामणि (मनवांछित देने वाले रत्न) हैं, किन्तु प्रापकी अन्तरात्मा कठोरता (निर्दयता) से शन्य है. अाप हरिचन्दनतरु हैं किन्तु वहाँ सपो का प्रभाष है (अर्थात् आप परोपकारी दयालु चेष्टानों से युक्त हैं), पाप तेज के निधि है किन्तु (मन की) अम्मा (गर्व) का निराकरण करने वाले हैं। उत्कृष्ट लक्ष्मी के कारण, सम्यग्दर्शन-शान-चरित्ररूप रत्नत्रय के भडार, श्री बद्धपान के वचनों के पाश्रय से मुनिजन प्रात्महित माधन करते हैं और सामान्य जन प' प्रविकारी मन न करते हैं। उन भगवान का ऐसा वृत्त समस्त जनों के लिए सतत हितकारी हो ! 000
SR No.538031
Book TitleAnekant 1978 Book 31 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1978
Total Pages223
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size12 MB
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