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सामाधिक इतिहास का एक मात
हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती के दैनिक पत्र और पीठ के अतिरिक्त मापने साह जन ट्रस्ट, साह जैमरीसावधिक पत्रिकाए' तथा महत्वपूर्ण सांस्कृतिक-साहित्यिक टेबल सोसायटी तथा मध्य भनेक शिक्षण सस्थानों की भी शोध एवं प्रकाशन के कार्य भी पाते हैं।
संस्थापना की। वैशाली प्राकृत, जैन धर्म एवं पहिंसा शोषविगत वर्षों पे देश की विभिन्न शीर्ष व्यवसाय- संस्थान को तथा प्राचीन तीपों एवं मन्दिर मावि के जीर्णोसंस्थानों के पाप अध्यक्ष रहे हैं । इनमे प्रमुख है : फेड द्वार में प्रचुर मर्यदान दिया है। पाप अखिल भारतवर्षीय रेशन प्राफ इंडियन चेम्बर प्राफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री, दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, बम्बई तथा महिसा प्रचार इण्डियन चेम्बर माफ कामर्स, इण्डियन शुगर मिल्स एसो.
समिति, कलकत्ता अखिल भारतवर्षीय दिगबर जैन परिमिएशन, इण्डियन पेपर मिल्प एसोसिएशन, बिहार चेम्बर
षद् एवं मारवाडी रिलीफ सोसायटी के पक्ष रह चुके थे। प्राफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री, राजस्थान चेम्बर प्राफ कामर्स
भगवान महावीर के २५००वें निर्वाण महोत्सव के एण्ड इण्डस्ट्री, ईस्टनं यू० पी. चेम्बर प्राफ कामर्स एण्ड
कार्यक्रमों को सफल बनाने में भापका सर्वाधिक योगदान इडस्ट्री । चार वर्षों तक लगातार प्राप पाल इण्डिया
रहा है। जैन समाज के चारों सम्प्रदायों की मोर से प्रार्गनाइजेशन आफ इण्डस्ट्रियल एम्पलायसं के भी प्रध्यक्ष
गठिन भगवान महावीर २५००वा निर्माण महोत्सव महा. हे गौर इसी अवधि में भारतीय श्रमव्यवस्था सम्बन्धी समिति के प्राप कार्याध्यक्ष थे । भारत की संपूर्ण दिगंबर निगम बनाते समय प्रापने उद्योग धन्धों का व्यावहारिक जैन समाज की प्रोर से गठित पाल इण्डिया दिगवर भग. दष्टिकोण उपस्थित किया।
वान महावीर २५००वां निर्वाण महोत्सव सोसायटी एवं अपनी विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्नता तथा व्यापक अनु- बंगलाप्रदेश क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष के रूप मे पापने भव के कारण साहनी देश के उद्योग एव व्यवमाय द्वारा देश व्यापी सास्कृतिक चेतना को जागत किया। भारत प्रतेक अवसरों पर सम्मानित किए गए। स्वर्गीय पं० सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय समिति और बिहार तथा जवाहरलालजी ने देश की पौद्योयिक प्रगति की वैज्ञानिक
बंगला की समितियों में भी प्रापने महत्वपूर्ण पदो का परेकल्पना को कार्यान्वित करने के लिए जो प्रथम राष्ट्रीय
दायित्व तन्मयता से सम्भाला । निर्वाण महोत्सव के बहसमिति गठित की थी, उमरे देश के तरुण प्रौद्योगिक वर्ग
मखी कार्यक्रमों को प्रापने चिन्तन, उत्साहपूर्ण नेतत्व पौर का प्रतिनिधित्व करने के लिए पापको इसका सदस्य
मखर श्रद्धा के प्रत्यक्ष प्रभाव से उपलब्धियों का जो वरदान बनाया था।
दिया है, वह जैन ममाज के इतिहास मे चिरस्मरणीय रहेगा। साह साहब की भारतीय धर्म-दर्शन और इतिहास
ममाज ने अपनी श्रद्धा स्वरूप पापको दानवीर', तथा संस्कृति विषयो के अध्ययन में भी प्रांतरिक रुवि
तथा 'श्रावक शिरोमणि' की उपाधियों से सम्मानित किया। थी। भारतीय कला एव पुरातत्व के क्षेत्र में भी वे साधिकार चर्चा किया करते थे। धार्मिक श्रद्धा मे वह मडग
पन्तिम क्षणों में साहू नी के परिणाम इतने निर्मल हो गए
थे कि उन्होंने अपने पुत्र श्री अशोक कुमार जैन से इच्छा थे । भारतीय भाषामों एवं साहित्य के विकास-उन्नयन
व्यक्त की थी कि स्वस्थ होने के उपरान्त हस्तिनापुर मे मनि की दिशा में पापका अति विशिष्ट योगदान रहा। प्रापके
श्री शान्तिसागरजी के निर्देशन मे शेष जीवन व्यतीत करेंगे। द्वारा सन् १९४४ मे भारतीय ज्ञानपीठ की मंस्थापना एव महाराज श्री जब जमी दीक्षा उचित समझेंगे, दे देंगे। अपनी सहमिणी स्वर्गीया श्रीमती रमा जैन के साथ श्री माहूजी के बड़े भाई श्री श्रेयांसप्रसाद जैन को, उसकी कार्य प्रवृत्तियां, विशेषकर उसके द्वारा प्रवर्तित ___ साहूजी के बड़े पुत्र श्री अशोक कुमार जैन, मझले पुत्र श्री भारतीय भाषामों की सर्वश्रेष्ठ सृजनात्मक साहित्यिक भालोकप्रसाद जैन एव कनिष्ठ पुत्र श्री मनोज कुमार जैन कृति को प्रतिवर्ष एक लाख रुपये की पुरस्कार योजना की को; उसकी पुत्री श्रीमती अलका जालान एव सारे परि. परिकल्पना और पब तक ११ पुरस्कारों के निर्णयों की वार को एवं समाज को जो मर्मान्तक पाघात पहचा है उसके कार्यविधि मे अनवरत रुचि एवं मार्गदर्शन, उनकी दूर. प्रति समाज की सहा सवेदना उत्प्रेरित है। उनका देहान्त दशिता एवं क्षमता के बहप्रशंसित अमर प्रतीक है। ज्ञान- सामाजिक इतिहास का एक यूगांत है। 000