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२२, ३१, कि०.४
अनेकान्त प्रत्यन्त महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। उसके बाद उन्होंने अंग्रेजी, मराठी और गुजराती के दैनिक पत्र और सावधिक ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी तथा अन्य योरोपीय देशों में भी पत्र पोर पत्रिकाए, तथा साहित्यिक, सांस्कृतिक और शोषपरिभ्रमण किया और उससे जो अनुभव प्राप्त किया, उन पूर्ण प्रकाशन उनके महत्वपूर्ण कार्य हैं। उपलब्धियों के समावेशन द्वारा साहू जैन उद्योग को साहू जी विगत वर्षों में देश को विभिन्न शीर्ष व्यवअधिकाधिक समृद्ध बनाया। इससे जहां साहू उद्योग मे साय संस्थानों के अध्यक्ष रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं फेडरेशन विशिष्टता पाई, वहां साह जी का व्यक्तित्व उजागर हमा। माफ इण्डियन चेम्बसं माफ कामर्स ए णस्ट्री, उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी महत्ता विनम्रता थी। जिस इण्डियन चेम्बर्स माफ कामर्स, इण्डियन शुगर मिल्स एसो. तरह के व्यापारादि में भागे बढ़ उमी तरह उनका व्यक्ति सिएशन, विहार चेम्बर्स माफ कामर्स एण्ड इणस्ट्री, स्व भी प्रतिभाशाली होता गया।
राजस्थान चम्वसं घाफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री तथा ईस्टनं यू. व्यक्तित्व
पी. चेम्बस पाफ क पसं एण्ड इण्डस्ट्री । उनकी गणना भारत के महान प्रौद्योगिक चार वर्ष तक लगातार ग्राप प्राल इण्डिया प्रा. पौर प्रतिष्ठित परिवारों में की जाने लगी। इतना ही नहीं नाइजेशन माफ इण्डस्ट्रियल एम्प्लायर्स के भी अध्यक्ष यह किन्त उनकी उदारता, सौजन्य पौर कर्तव्यनिष्ठा और इसी अवधि में जब भारतीय श्रम व्यवस्था सम्बन्धी ने व्यक्तित्व की महत्ता में चार चांद लगा दिये । जिस नियम बने, तब पापने अपने उद्योग धन्वों का रिक सहजता के साथ प्रौद्योगिक और पवसायिक क्षेत्रो मे दृष्टिकोण उपस्थित किया। साहजी ने जो सफलता प्राप्त की, वह उनकी स्वभाव- सामाजिक जीवन गत प्रतिभा, सूझ-बूझ, संगठन क्षमता पौर अध्यवसाय प्रपनी विशिष्ट प्रतिभा सम्पन्नता तथा व्यापक की सम्मिलित देन है। उनका प्रतिभाशाली व्यक्तित्व, अनुभव के कारण साहूजी देश के उद्योग एवं व्यवसाय वर्ग कार्यदक्षता, विवेक पटुता, साहस और ग्रावाय उनकी द्वारा अनेक अवसरों पर सम्मानित किए गए। स्वर्गीय इस कार्य प्रणाली में सहायक थे। उद्योग धन्यों को पं. जवाहर लाल नेहरू ने देश की प्रौद्योगिक प्रगति की स्थापना कुशल नेतृत्व के बिना नहीं हो सकती। देश पे वैज्ञानिक परिकल्पना को कार्यान्वित करने के लिए जो अनेक उद्योगो के विकास मे उनका महत्वपूर्ण योगदान प्रथम राष्ट्रीय समिति गठित की, उसमे देश के तरुण
मौद्योगिक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने के लिए पापको जहां उनमे भारतीय धर्म, दर्शन, संस्कृति, इतिहास उपका सवस्य बनाया था। पौर पुरातत्त्व के अध्ययन के प्रति प्रान्तरिक रुचि थी, इन सब कार्यों पोर व्यवसाय में संलग्न होते हुए भी उनके धार्मिक विचार काकी दव पौर गहरे थे। उनके उन्हें जैन धर्म और संस्कृति से गहरा प्रेम था। वे जैन माथिक एवं व्यावसायिक समस्याग्रो के सुलभ समाधान धर्म के प्रति प्रगाढ़ श्रद्धालु और दयालु थे। जैन धर्म का खोज निकालने की क्षमता भी थी।
महत्व उनकी रग-रग मे समाया हुअा था । उद्योगपति और साह शान्ति प्रमाद जी सहूँ जैन उद्योगों के बनी होते हैं। भी उनमें अभिमान नहीं था। वे कभी प्रधिष्ठाता थे पोर देश के महान उद्योगपतियों को प्रथम दूमरों को नीचा दिखाने की दृष्टि से कोई कार्य नहीं श्रेणी में थे। उनके कुशन व व्यापक निर्देशन के परि. करते थे । जहां उनका व्यक्तित्व महान था. वहां उनका णामस्वरूप साह जैन उद्योग वर्ग अत्यन्त मुनियाजित कृतित्व भी कम महत्वपूर्ण नही था। वे श्रावक धर्म का रूप मे संगठित है। उनमे कागज, चीनी, वनस्पति, सीमेंट, यथाशक्ति पालन करते थे। उनके हम धर्मानुराग के कारण एसवेस्टम प्रोडक्टम, पाट निपिलवस्त्र, भारी रसायन, ही जैन समाज ने उन्हें श्रावकशिरोमणि की उपालिसे नाइट्रोजन खाद, प वर मल्कोहल, प्लाईवर, कोयले की लंकृत किया था। खाने, लाइट रेलवे व इजीनियरिंग वस माते है । हिन्दी, साह साहब ने अपने जीवन में जो धार्मिक, सांसति