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________________ | स्थापित : १९२९ अनेकान्त में विज्ञापन देकर वीर सेवा मन्दिर विज्ञापन दरें __ २१, दरियागंज, नई दिल्ली-२ लाभ उठाइए! बीर सेवा मन्दिर उत्तर भारत का अग्रणी जैन संस्कृति, साहित्य, इतिहास, पुरातत्त्व एवं दर्शन शोष संस्थान है जो १९२६ से मनवरत अपने पुनीत उद्देश्यों को सम्पूर्ति में संलग्न रहा है । इसके पावन उद्देश्य इस प्रकार हैं : जैन-जनेतर पुरातत्व सामग्री का संग्रह, संकलन पूर्ण पृष्ठ (एक बार) भोर प्रकाशन । १००) रुपए प्राचीन जैन-जनेतर अन्थों का उद्धार । वर्ष में चार पृष्ठ ३००) रुपए 0 लोक हितार्थ नव साहित्य का सृजन, प्रकटीकरण मौर प्राधा पृष्ठ (एक बार) ६०) रुपए प्रचार। प्राधा पृष्ठ (वर्ष में चार) २००) रुपये O'भनेकान्त' पत्रादि द्वारा जनता के प्राचार-विचार एजेन्सी कमीशन १५ प्रतिशत को ऊंचा उठाने का प्रयत्न । निश्चित स्थान २०% अधिक जैन साहित्य, इतिहास और तत्त्वज्ञान विषयक अनुसंधानादि कार्यों का प्रसाधन और उनके प्रोत्तेजनार्थ वृत्तियों का विधान तथा पुरस्कारादि का प्रायोजन । विविध उपयोगी संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी एवं अंग्रेजी प्रकाशनों; जैन साहित्य, इतिहास और तत्त्वज्ञान"अनेकान्त' के स्वामित्व सम्बन्धी विवरण विषयक शोष-अनुसंधान ; सुविशाल एवं निरन्तर प्रवर्ध मान ग्रन्थगार; जैन संस्कृति, साहित्य, इतिहास एवं पुगप्रकाशन स्थान-वीरसेवामन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली | तत्व के समर्थ अग्रदूत 'भनेकान्त' के निरन्तर प्रकाशन एवं मुद्रक-प्रकाशन-वीर सेवा मन्दिर के निमित्त अन्य अनेकानेक विविध साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिप्रकाशन भवधि-त्रैमासिक श्री मोमप्रकाशन | विधियों द्वारा वीर सेवा मन्दिर गत ४६ वर्ष से निरन्तर राष्ट्रिकता-भारतीय पता-२३, दरियागंज, दिल्ली-२ | सेवारत रहा है एवं उत्तरोत्तर विकासमान है। सम्पादक-श्री गोकुलप्रसाद जैन यह संस्था अपने विविध क्रिया-कलापों में हर प्रकार से राष्ट्रिकता-भारतीय पता-वीर सेवा मन्दिर २१, पापका महत्त्वपूर्ण सहयोग एवं पूर्ण प्रोत्साहन पाने की दरियागंज, नई दिल्ली-२ प्रधिकारिणी है । मतः पापसे सानुरोध निवेदन है कि: १. वीर सेवा मन्दिर के सदस्य बनकर धर्म प्रभावनात्मक स्वामित्व-वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, नई दिल्ली-२ ___मैं, मोमप्रकाश जैन, एतद्द्वारा घोषित करता हूं कि कार्यक्रमों में सक्रिय योगदान करें। मेरी पूर्ण जानकारी एवं विश्वास के अनुसार उपयुक्त २. वीर सेवा मन्दिर के प्रकाशनों को स्वयं अपने उपयोग विवरण सत्य है। -मोमप्रकाश जैन, प्रकाशक के लिए तथा बिविध मांगलिक अवसरों पर अपने प्रियजनों को भेंट में देने के लिए खरीदें। ३. त्रैमासिक शोव पत्रिका 'अनेकान्त' के ग्राहक बनकर जैन संस्कृति, साहित्य इतिहास एवं पुरातत्व के शोषाअनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक नुसन्धान में योग दें। मनल उत्तरदायी नहीं है। -सम्पादक ४. विविध धार्मिक, सांस्कृतिक पर्यो एवं दानादि के प्रव सरों पर महत उद्देश्यों की पूर्ति में वीर सेवा मन्दिर अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) पया की पार्षिक सहायता करें। एक किरण का मूल्य १ रुपया ५० पैसा - -गोकुल प्रसाद जन (सचिव)
SR No.538030
Book TitleAnekant 1977 Book 30 Ank 01 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1977
Total Pages189
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size10 MB
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