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प्रशमरतिप्रकरण- कार तत्त्वार्थसूत्र तथा भाष्य के कर्ता से भिन्न
डा० कुसुम पटोरिया, नागपुर
भवतीत्यन्यथापितानवितविशेषात् ॥ *
तत्वार्थ सूत्र जैन तत्त्वज्ञान का संग्राहक, सुन्दर, सुव्यवस्थित और महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो दोनों ही सम्प्रदायों में प्रागम-ग्रन्थों की भांति ही समाहत है । तत्वार्थसूत्र का भाष्य स्वोपज्ञ है या अन्योपज्ञ यह प्रश्न अभी भी अनुत्तरित है | श्वेताम्बर परम्परा स्वोपज्ञ भाष्य के अतिरिक्त प्रशमरतिप्रकरण प्रादि ग्रन्थों को उमास्वाति प्रणीत मानती है ।
प्रशमरतिप्रकरण ३१३ कारिकाओंों में रचित ग्रन्थ है, जिसमे सक्षेप मे जैन तत्वज्ञान को गुम्फित किया गया है। प्रायः सम्पूर्ण प्राचीन जैन साहित्य प्राकृत भाषा में प्रणीत है । तत्त्वार्थ सूत्रकार ही प्रथम आचार्य है, जिन्होंने संस्कृत सूत्र- शैली में जैन तत्त्वज्ञान को पिरोया है । प्रशमरतिप्रकरण भी संस्कृत में सक्षिप्त शैली में रचित है। प्रशमरतिप्रकरण का तत्त्वार्थसूत्र से कही कही शब्दशः साम्य है ।
साम्य
प्रशमरति प्रकरण की चार कारिकाओं में तत्त्वार्थसूत्र के सूत्र ज्यों के त्यों विद्यमान है । प्रशमरति -
सामान्यं खलु लक्षणमुपयोगो भवति सर्वजीवानाम् । साकारोsनाकरच सोऽष्टभेदश्चतुर्धा तु ॥" तत्त्वार्थ सूत्र
उपयोगो लक्षणम् । स द्विविधोऽष्टचतुर्भेदः ।।' प्रशमरैति
उत्पादविगम तित्यत्वलक्षणं यत्तदस्ति सर्वमपि ।
१. प्रशमरतिप्रकरण, कारिका १६४ ।
२. तत्वार्थ सूत्र २ / ८ 1
३. वही २ / ६ ।
४. प्रशमरतिप्रकरण २०४ ।
५. तत्त्वार्थ सूत्र ५ / २६, ५/३०, ५ / ३१, ५ / ३२ (दिगम्बर
पाठानुसार) |
सदसद्वा
तत्त्वार्थ सूत्र -
सद्द्रव्यलक्षणम् । उत्पादव्ययोग्ययुक्तं सत् । तडावाव्ययं नित्यम् । अर्पितानपित सिद्धेः ॥ प्रशमरति
एतेष्वध्यवसायो योऽर्थेषु विनश्चयेन तत्वमिति । सम्यग्दर्शनमेतच्च तन्निसर्गादधिगमाद्वा ॥
तत्वार्थ सूत्र -
तत्वार्थश्रद्धानं सम्यग्दर्शनम् । तन्निसर्गादधिगमाद्वा ।",
प्रशमरति
एषामुतरभेदविषयादिभिर्भवति विस्तराधिगमः । एकादीन्ये कस्मित् भाष्यानि स्वाचर्तुभ्यः इति ॥ तत्त्वार्थ सूत्र-
एकादीनि माध्यानि युगपदेकस्मिन्ना चतुर्भ्यः प्रशमरति
सम्यक्त्वज्ञानचारित्रसंपदः साधनाति मोक्षस्य । तस्विकतराभावेऽपि मोक्षमार्गोऽप्यसिद्धिकरः ॥ " तत्त्वार्थ सूत्र
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सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः ।" प्रशमरतिप्रकरण की उक्त कारिकाम्रों में तत्त्वार्थ सूत्र के सूत्र के सूत्र ज्यों के त्यों उद्धृत कर लिए गये है । उक्त साम्य प्रशमरतिप्रकरण भौर तत्वार्थसूत्र के एककर्तृत्व का प्राभास देता है ।
६. प्रशमरतिप्रकरण, कारिका २२२ ।
७. तत्वार्थसूत्र १/ २-३ ।
८.
प्रशमरति - २२६ ।
६.
१०. प्रशमरति २३० ।
११. तवार्थसूत्र १/१ 1
तत्वार्थ सूत्र १ / ३० ।