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________________ ५८ वर्ष २८ कि.. अनेकान्त था। बुद्ध ने भिक्ष-संघ को भी इन नियमो के पालन की शूरमेन १३ अस्सक (अश्मक) १४. अवन्ति १५. गन्धार प्रेरणा दी थी। १६ कम्बोज ।" इनमे में 'वज्जि' का उदय विदेह साम्राज्य बीड य एवं वैशाली: के पतन के बाद हुमा। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि वैशाली-गणतन्त्र के इति- जैन ग्रंथ 'भगवती मूत्र' में इन जनपदों की सूची भिन्न हास तथा कार्य प्रणाली के ज्ञान के लिए हम बौद्ध ग्रन्थो के रूप में है जो निम्नलिखित है -- १. अंग २. वंग ३. मगह ऋणी है । विवरणों की उपलब्धि के विषय में ये विवरण (मगध) ४. मलय ५. मालव (क) ६. प्रच्छ ७. वच्छनिराले है। सम्भवत: इसी कारण श्री जायसवाल ने इस (वत्म) ८. कोच्छ (कन्छ ?)पाढ (पाण्ड्य या पौड़) गणतंत्र को "विवरणयुक्त गणराज्य' Recorded republic १०. लाढ (लाट या गट) ११. वज्जि (वज्जि) १२. शब्द से सम्बोधित किया है। क्योंकि अधिकांश गणराज्यो मोलि (मल्ल) १३ काशी १४. कोसल १५ प्रवाह १६. का अनुमान कुछ सिक्कों या मुद्राग्रो से या पाणिनीय व्या. सम्मत्तर (सम्भोत्तर ?)। अनेक विद्वान इस सूची को करण के कुछ सूत्रों में प्रथवा कुछ ग्रन्थो मे यत्र-तत्र उप- उत्तरकालीन मानते है परन्तु यह सत्य है कि उपर्युक्त लब्ध संकेतों से किया गया है। इसी कारण विद्वान लेखक सोलह जनपदो मे काशी, कोशल मगध, अवन्ति तथा ने इसे 'प्राचीनतम गणतन्त्र' घोषित किया है, जिसके वज्जि सर्वाधिक शक्तिशाली थे। लिखित साक्ष्य हमें प्राप्त है और जिसकी कार्य-प्रणाली की वंशाली गणतात्र की रचना : झांकी हमें महात्मा बुद्ध के अनेक सम्वादों में मिलती है। वज्जि' नाम है एक महासंघ का, जिसके मुख्य अग वैशाली गणतन्त्र का अस्तित्व कम से कम २६०० थे-जातक. लिच्छवि एवं वजि । ज्ञातृकों से महावीर के वर्ष पूर्व रहा है । २५०० वर्ष पूर्व भगवान महावीर ने ७२ पिता सिद्धार्थ का सम्बन्ध था (राजधानी-कुण्डग्राम) वर्ष की प्रायु में निर्वाण प्राप्त किया था। यह स्पष्ट ही लिच्छवियों की राजधानी वैशाली की पहचान बिहार के है कि महावीर वैशाली के अध्यक्ष चेटक के दौहित्र थे। मजप्फरपुर जिले में स्थित बमाढ़-ग्राम से की गई है। महात्मा बुद्ध महावीर के समकालीन थे। बुद्ध के निर्वाण वजि को एक कुल माना गया है जिसका सम्बन्ध वैशाली के शीघ्र पश्चात बद्ध के उपदेशों को लेन-बद्ध कर लिया मे था । इम महामंध की गजधानी भी वैशाली थी। गया था। वैशाली में ही बौद्ध भिक्षों की दूसरी संगीति लिच्छवियो के अधिक शक्तिशाली होने के कारण इस का प्रायोजन (बड के उपदेशों के संग्रह के लिए) हुमा महासंघ का नाम लिच्छवि-सघ' पड़ा। बाद में, राजधानी बैशाली की लोकप्रियता से इसका भी नाम वैशाली-गणवैशाली गणतन्त्र से पूर्व (छठी शताब्दी ई० पू०) तन्य हो गया। क्या कोई गणराज्य था? वस्तुनः इस विषय में हम अंध- बज्जि एवं लिच्छवि : कार में है। विद्वानों ने ग्रंथों में यत्र-तत्र प्राप्त शब्दों से बौद्ध म.हित्य में यह भी ज्ञात होता है कि वज्जिइसका अनुमान लगाने का प्रयत्न किया है । वैशाली से महासंघ में अष्ट कुल (विदेह. ज्ञातृक, लिच्छवि, जि, पूर्व किसी अन्य गणतन्त्र का विस्तृत विवरण हमें उपलब्ध उग्र, भोग, कौरव तथा ऐक्ष्वाकु) थे । इनमे भी मुख्य थेनहीं है। बौद्ध ग्रंथ 'अंगुत्तर निकाय' मे हमें ज्ञात होता है वजि तथा लिच्छबि । बौदध-दर्शन तथा प्राचीन भारतीय कि ईसा पूर्व छठी शताब्दी से पहने निम्नलिखित मोलह भगोल के अधिकारी विमान श्री भरतसिंह उपाध्याय ने 'महाजन पद' थे----१. काशी २. कोसल ३ अंग ४. मगध छपने ग्रथ (बुद्ध कालीन भारतीय भूगोल, पृष्ठ ३८३. ५. बज्जि (वजि) ६. मल्ल ७. चेतिय (चेदि) ८. वंस. ८४ (हिन्दी-माहित्य सम्मेलन प्रयाग संवत् २०१८) मे (बत्म कुरु १०. पंचाल ११. मच्छ (मत्स्य) १२. निम्नलिखित मत प्रगट विया है -"वस्तृतः मिच्छवियो ५. पुरातत्व-निवाधावली-२० । कलकत्ता विश्वविद्यालय, छठा संस्करण, १६५३। ६. रे चौधुरी, पोलिटिकल हिस्ट्रीशाफ ऐंशियेंट इण्डिया पृष्ठ ६५
SR No.538028
Book TitleAnekant 1975 Book 28 Ank Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1975
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size15 MB
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