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१८८, वर्ष २८ कि.१
अनेकान्त
अलग होकर महावीर के कट्टर विरोधी हो गये; यहां (बिहार) का कुछ भाग भी इसमें सम्मिलित था। तीर्थतक कि उन्होंने महावीर पर तेजोमेश्या तक भी छोड दी थर पुष्पदन्त का जन्म देवरिया के पास ही काकन्दी में थी । महावीर-निर्वाण से सोलह वर्ष पूर्व वह भयंकर हुआ था। बीमारी के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए।
तब और अब : महावीर के जीवन (कर्म-क्षेत्र) से वज्जि, विदेह, महावीरकालीन भारत से प्राज के प्रभावग्रस्त देश मगध और मल्ल देशो का गहरा सम्बन्ध था। वज्जि देश की कोई तुलना नहीं है। उस समय प्रात्मनिर्भरता थी में उनका जन्म, वंशाली-वर्तमान बसाढ-के निकट और प्रगति का माध्यम देशी साधन, भावना, विचार, कोल्लाग सन्निवेश के क्षत्रिय-कुण्डग्राम में हना था । वेष, भाषा और भोजन थे। लोग कर्तव्य-निष्ठ थे और उनके प्रायः बारह वर्षावास इस क्षेत्र मे हुए थे । विदेह उनका नैतिक स्तर ऊँचा था। प्राज हम कृषि, उद्योग, क्षेत्र की मिथिला मे छ: वर्षावास हए थे । मगध मे चौदह वाणिज्य, व्यवसाय, विनिमय, परिवहन, शिक्षा, समाजवर्षावास हुए थे और राजगृह के विपुलाचल और वैभार व्यवस्था, सस्कृति, स्वास्थ्य प्रादि सबके लिए शासन की पर्वतो के प्रान्तों में उनकी देशनाये और प्रागमागों के उप- ही अपेक्षा करते है। कर्तव्य-निष्ठा और प्रात्म-निर्भरता देश हुए थे । मल्ल देश और वज्जि देश की सीमा के का यह शीर्षासन रूप है। हमारा प्रतीत बताता है कि भास-पास जम्भिक ग्राम में उन्हे केवल ज्ञान की प्राप्ति व्यक्ति की प्रात्मनिर्भरता, नैतिकता और कर्तव्य-निष्ठा से हुई थी और मल्ल राष्ट्र के पावानगर में हस्तिपाल की राष्ट्र को प्रात्मनिर्भरता, निष्ठा और नीति थी। अतीत रज्जक-सभा-भवन में वे निर्वाण को प्राप्त हा थे । मल्लो के इतिहास को सुरक्षित रखने और उसके पुननिरीक्षण की और लिच्छिवियो ने निर्वाणोपरान्त उनके सम्मान में सार्थकता तभी है, जब हम इससे प्रेरणा ले और उसके प्रोषध कर दीपावली मनाई थी।
माध्यम से अतीत एवं वर्तमान की त्रुटियो को दूर कर
उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकें। महावीर ने जिस बज्जि देश वर्तमान बिहार का ति रहत प्रमण्डल था, अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह और अनेकान्त का विचार दिया जिसकी राजधानी वैशाली थी। वैशाली से वायव्य कोण था, उसे व्यक्तिगत और राष्ट्रीय जीवन मे परिस्फुट कर मे कोल्लाग सन्निवेश (कोल्हा ) था और उसी के मन्त- हम सत्यार्थ मे प्रगति की प्रोर अग्रसर होगे पोर एक ऐसे र्गत क्षत्रिय-कुण्डग्राम था। वज्जि गणतन्त्र बनने के पहले सर्वोदणे समाज की रचना कर सकेगे जिसमे अभाव, तिरहुत प्रमण्डल का अधिकाश क्षेत्र नेपाल का दक्षिणी असतोष, उत्पीड़न, अनैतिकता, जमाखोरी, घुसखोरी, हड़भाग विदेह क्षेत्र कहा जाता था, इसकी राजधानी मिथिला ताल, तालाबन्दी, पदलोलुपता, शासकीय नियत्रण मादि थी। अाजकल इसे जनकपुर धाम कहते है । यह नेपाल को स्थान नहीं होगा। की तराई मे है। मिथिला मल्लि और नमि दो-तीर्थडुरों एव प्रकम्पित गणवर की जन्मभूमि रही है। मगध के
महावीर के इस २५००वें निर्वाण-वर्ष के अवसर पर
उनके उपदेशो को जीवन में उतारने की भावना जागरित अन्तर्गत वर्तमान पटना, गया और हजारीबाग के जिले
करने का संकल्प लेना मानव-मात्र का कर्तव्य है। थे, इसकी राजधानी राजगृह मे थी। मल्ल राष्ट्र में वर्तमान देवरिया, भाजमगढ़ (उतर-प्रदेश) के जिले थे। सारन
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