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________________ १८४, २८, कि०१ अनेकान्त नियमों का पूर्ण समादर था। राष्ट्र के रक्षार्थ सेना रखी गणतंत्रों में सबसे बड़ा और शक्तिशाली वज्जि गणजाती थी और मांतरिक सुव्यवस्था के लिए पारक्षी दल तंत्र था। संभवत: भारत वर्ष का सर्वप्रथम गणतंत्र भी रखा जाता था। प्रत्येक गण अपने में स्वतंत्र भी था और यही था। इसमें ७७०७ गण-राजा सम्मिलित थे। मगध परस्पर सम्बद्ध भी था। अपनी सीमा में जहां गणराजा राजतंत्र से सटे होने के कारण मगध की आँखें इस संघ सर्वोपरि थे, वहाँ राष्ट्रीय तल पर एक दूसरे से बंधे हुए पर लगी रहती थीं श्रेणिक (बिम्बसार) ने भी वज्जियों भोर संस्थागार के नियमों के अधीन थे। उस समय अप- पर आक्रमण किया था, पर पीछे चेटक की पुत्री चेल्लना राध कम होते थे और दण्ड-व्यवस्था दृढ, पर सरल थी। से विवाह करने के बाद आपस में संधि हो गई थी। अपराधों के न्याय के लिए उत्तरोत्तर कई न्यायालय बने अजात शत्रु ने तो इस गणतंत्र को सहायकों मल्ल, काशी हुए थे। मौर कोसल सहित अधीनस्थ कर लिया था। अजेयता के सात कारण : अधिकारी एवं प्रमात्य : गणतंत्रों की प्रणाली की सव्यवस्थिति पर बुद्ध और गणतंत्रों की राज्य प्रणाली में निम्न अधिकारी एवं अजातशत्रु के महामात्य वर्षकार की वार्ता से समुचित अमात्य होते थे :प्रकाश पड़ता है। यद्यपि प्रस्तुत प्रसग वैशाली (वज्जियों) राजा, उपराजा, सेनाध्यक्ष, भाण्डागारिक (कोषाध्यक्ष) से सम्बध रखता है, पर गणतत्रों की प्रणाली प्रायः मिलती- ये चार मुख्य थे । इनके अतिरिक्त शुल्क, व्यवहार, पारजुलती होने के कारण इसे सभी गणतंत्रो की प्रणाली कह क्षण, वाणिज्य, दौत्य आदि के लिए विभिन्न अमात्य रखे सकते है। बुद्ध ने प्रानन्द के माध्यम से वर्षकार को वज्जियो जाते थे । अधिकारियों और अमात्यो मे चुने हुए और की अजेयता के सात कारण बताये थे जो निम्न प्रकार वेतनभुक्त दोनो प्रकार के लोग होते थे । गणतत्रो में एक संस्थागार होता था, जिसमे सभी गणराजा उपस्थित होकर १-वज्जि इकट्ठ जटते, उठते-बैठते, उद्यम करते, विचार-विमर्ग करते, नियम बनाते और सम्बन्धित विषयो पौर राष्ट्रीय कर्तव्यो का पालन करते है। -सधि, विग्रह, परराष्ट्र-सम्बन्ध आदि पर निर्णय लेते थे। २-वज्जि बार-बार इकट्टे होते, इनके जुटाव पूर्ण सामान्यतः निर्णय सर्व-सम्मत होते थे, मतैक्य नहीं होने और सर्व-सम्मिलित होते है; पर छद (वोट) लिए जाते थे । संस्थागार में जो निर्णय ३-वज्जि सभा की राय से नियम बनाए बिना हो जाता या जो नियम बन जाता, उसे मानना सबके माज्ञा या आदेश नही प्रसारित करते, नियमो का उल्लघन लिए अनिवार्य था। नही करते, पुराने नियमो का पालन करते और संस्थानो छद तीन प्रकार के लिए जाते थे-मौखिक हाथ से मिल कर कार्य करते है। उठा कर या सहमति सूचक खड़े होकर और शलाकानो के ४-वज्जि वृद्धों का आदर करते, उनकी सेवा करते द्वारा । शलाका छद को गुप्त मतदान कह सकते है। उनकी बातो पर ध्यान देते, मानते हैं, विभिन्न रंगों की शलाकायें वितरित कर दी जाती थीं ५-बज्जि कुल नारियो मोर कुमारिकानों का और पक्ष-विपक्ष के रंगों की घोषणा के उपरान्त उन्हे समादर करते है, उन पर बलात्कार नहीं करते है। एकत्र कर बहुमत से निर्णय होता था। सावारणतः जब ६-वज्जि देवस्थानों को मानते, उनकी रक्षा करते जो विषय उपस्थित होता था, उसी पर विचार किया है और उनकी सम्पत्तियो को नहीं छीनते है और जाता था, विषयान्तर में जाने की अनुमति नहीं दी जाती ७-वज्जि महतों की रक्षा करते, उन्हे आदर वेते, थी। न पाए हुभो को बुलाते और पाये हुए राज्य मे इच्छा- कला एवं विद्या : भुसार निरापद विहार करें, इसका ध्यान रखते हैं। उस समय प्रायः मस्सी से भी अधिक कलायें एवं (दीघनिकाय) विद्यायें प्रचलित थीं, जैसे लेख, गणित नाटक, सगीत,
SR No.538028
Book TitleAnekant 1975 Book 28 Ank Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1975
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size15 MB
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