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________________ हरिवंशपुराण में शरीर-लक्षण : एक अध्ययन इसी प्रकार हाथी, बैल या सुपर की तरह ऊंचे कन्धे को तपस्वी मानता है। वहत्संहिता के ही अनुसार नाक वाले को महाभोगी. महाधनी या उच्च पदाधिकारी बताया के छिद्रो का छोटा होना शुभ लक्षण है। किन्तु समुद्र गया है। रोमो का होना मी निर्धनता की निशानी कहा तिलक की यह मान्यता है कि यदि नाक बहुत बड़ी या गया है। इनकी तुलना के लिए भी पशुपो से साम्यता का बहुत छोटी हो और मागे से दो भागों में विभक्त हो सहारा लिया गया है। तो व्यक्ति निर्धन होता है । इसी प्रकार एक बार छोकने बाढ़ी, दाँत, गोठ प्रादि:-जिनसेनाचार्य के मता- वाले को धनी, दो-तीन बार छीकने वाला दीर्घायु तथा नुसार जिनकी दाढ़ी पतली और लम्बी होती है, वे निर्धन जो चार बार छीके, उसके भोग का नाश होता है । अधिक और जिनकी पुष्ट होती है, वे धनी होते हैं। बिम्बफल के बार छींकना अशुभ है । गर्ग ऋषि ने नेत्र के ललाई लिए समान लाल पीठ मनुष्य को राजा बनाते हैं । वे कटे-फटे हए किनारे को शुभ बताया है। गरुड़ पुराण हाथी जैसे न हो और सीधे भी हो । सम और स्निग्ध दाढ तथा नेत्र वाले को सेना नायक बनाता है। महाभारत में पिमल सफेद एव सघन दांत, लम्बी और कोमल जीभ वाले भोगी (बिल्ली जैसे) नेत्र वाले को प्रशभ बनाया गया है। इस होते है। कानो पर रोम बाले दीर्घायु, सीधी और समान, प्रकार के नेत्र दुर्योधन के बताये गये थे । भविष्य पुराण छोटे छिद्रों वाली नाक वाले भोगी होते हैं । जिसे एक ने बिल्ली के समान नेत्र वाले को हिंसक माना है। गर्मछीक पाए, वह घनी, दो-तीन वाला विद्वान, लगातार छोक ऋषि ने यह मत व्यक्त किया है कि आँखों के लक्षणों को वाले दीर्घायु होते है । गजेन्द्र एवं बल को प्रांखे राजा के प्रधानता दी जानी चाहिए। अन्य सौ लक्षण एक तरफ लक्षण है जब कि अतिम भाग मे लाल अाँखे धनिकों की और प्राख सम्बन्धी लक्षण एक तरफ रखना चाहिये । होती है, किन्तु पीली आँखों वाले प्रमागलिक एवं पापी विभिन्न प्राचार्यों ने नेत्र के लक्षणों में विभिन्न जीव-जतुषों होते है। उनसे न मित्रता करनी चाहिए और न ही उनकी की प्रॉखो से मनुष्य की प्रॉखो के लक्षणो की तुलना की योर देखना चाहिए । बिल्ली के समान जिनकी अखि है। (इन पशुमो में गाय, खरगोश, सर्प प्रादि प्रमुख हैं। होती है, वे मन, वचन, कर्म से पाप पूर्ण होते है एव यहॉ केवल जिनसेन के मत में समानता वाले लक्षणोपर अभागे और निर्दयी होते है। ही विचार किया गया है।) श्री प्रोझा ने मामुद्र तिलक नामक ग्रन्थ का संदर्भ मख लक्षण :--जिनसेनाचार्य का मत है कि जिनका देकर लिखा है कि दाढ़ी-मूछ के केश सघन, सूक्ष्म और मख भरा हमा, सौम्य, सम और कुटिलता रहित होता मृदु हों तो यह उत्तम लक्षण है। उनके अनुसार गरुड़- है, वे राजा होते है। बड़े मुख वाल प्रभागे मोर गोल मह पुराण भी लाल और चिकने प्रोठ वाले व्यक्ति को राजा वाले मूर्व होते है । स्त्री के समान मुख वाले सम्मानहीन, बनाता है और फटे ओंठ वाले को निधन । वराह मिहिर छोटे मव वाले कंजूस तथा लम्बे मुह वाले निर्धन होते राजा के लक्षणो में पतले और सीधे प्रोठ भी शामिल है। करते है । भविष्य पुराण हाथी या गधे के समान चिकने मख सम्बन्धी उक्त लक्षण (राजा से सम्बन्धित) दांत वाले को धनी और गुणी मानता है। इसी प्रकार भविष्य पुराण के लक्षणो से मिलते है। किन्तु स्त्री जैसे ३२ दांतों का होना उत्तम लक्षण है। समुद्र ऋषि ऊँचे मख वाले के लिये यह कहा गया है कि उसका पुत्र नहीं दाँत वाले को बलवान और भोगी मानते है। होता । इसी प्रकार बड़े मुंह वालों को भय उत्पन्न करने लाल, चिकनी और दीर्घ जीभ वाले को भविष्य- वाला एवं पापी कहा गया है, और छोटे चेहरे वालों को पराण मे ऊँची पदवी प्राप्त करने वाला कहा गया है। अल्पायु या धन-नाश से दु.खी होने वाला बताया है। श्रीप्रोभा ने बहत्संहिता का यह मत उद्धृत किया है कि समुद्र ऋपि छोटे चेहरे वाले को कस कहते है । भविष्य जिनके कानों में रोम हों, वे दीर्घायु होते हैं, किन्तु भविष्य- पुराण ने गोलाई वाले मह के व्यक्ति को धामिक घोषित पराण बडे कान बालों को दीर्घायु तथा लम्बे कान वालो किया है । गर्ग ऋपि ने चेहरे को सबसे अधिक महत्व
SR No.538028
Book TitleAnekant 1975 Book 28 Ank Visheshank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokulprasad Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1975
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size15 MB
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